सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को पेगासस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति के गठन का फैसला सुनाया। इस मामले में कई तकनीकी पेंच होने की वजह से शीर्ष अदालत ने कहा कि उसके पास प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की दलीलों को स्वीकार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। दरअसल, पेगासस मामले में अब तक कई तथ्य अस्पष्ट हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार की तरफ से भी इसे सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला बताकर ज्यादा जानकारी देने से इनकार कर दिया गया।भारत में इसके निशाने पर किन लोगों के होने की आशंका?सर्वोच्च...
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, स्पाईवेयर वो सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम होते हैं, जिनका इस्तेमाल जासूसी से जुड़े कामों के लिए होता है। पेगासस स्पाईवेयर को इजराइल के एनएसओ ग्रुप ने तैयार किया है। इसे मुख्य तौर पर एक खुफिया साइबर प्रोग्राम के तौर पर तैयार किया गया था, जिससे दुनियाभर की जासूसी एजेंसियों को गुपचुप तरीके से लगभग हर स्मार्टफोन से डेटा निकालने में मदद मिले। बताया जाता है कि यह सॉफ्टवेयर इजराइली खुफिया विभाग के कुछ पूर्व जासूसों ने तैयार किया था।पेगासस की जद में आने वाले डिवाइसों की लिस्ट में...
चौंकाने वाली बात यह है कि किसी भी डिवाइस की जानकारी चुराने के लिए पेगासस स्पाईवेयर का किसी फोन में होना जरूरी नहीं है, बल्कि हैकर को सिर्फ निशाना बनाए जाने वाले फोन का नंबर पता होना चाहिए। इससे स्पाईवेयर का सिस्टम अपने आप ही टारगेट के नेटवर्क में घुस जाता है और उसे निशाना बना लेता है। हालांकि, यह सिस्टम हमेशा सफल नहीं होता, क्योंकि कई ऑपरेटिंग सिस्टम अपडेट होने के बाद सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को अपडेट कर लेते हैं। हालांकि, पेगासस के निशाने में आए सेलफोन को बचाने का एक तरीका टारगेट हुए फोन के...
हालांकि, जब सुप्रीम कोर्ट केंद्र के इस जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ और सरकार से ज्यादा जानकारी मुहैया कराने की मांग की, तो सरकार ने तर्क दिया कि पेगासस के इस्तेमाल पर वह ज्यादा जानकारी नहीं दे सकती, क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है। इस पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा था कि वह सरकार को सुरक्षा पर ज्यादा जानकारी देने के लिए मजबूर नहीं कर सकती, लेकिन वह सिर्फ यह जानना चाहते हैं कि क्या लोगों के फोन हैक हुए थे। कोर्ट ने सरकार का पक्ष पेश कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को याद दिलाया कि...
सुप्रीम कोर्ट की इन टिप्पणियों के बावजूद जब केंद्र ने विस्तृत जवाब नहीं दाखिल किया, तो चीफ जस्टिस एनवी रमन्ना ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी के गठन पर विचार कर रहे हैं। आखिरकार जब केंद्र सरकार ने आगे कोई भी जानकारी नहीं दी। तो सुप्रीम कोर्ट ने 13 सितंबर को अपना अंतरिम फैसला सुरक्षित रख लिया। लेकिन कोर्ट ने इस दौरान सरकार को फिर से सोचने का मौका दिया। कोर्ट ने 23 सितंबर को ही इस केस से जुड़े एक वकील से कहा था कि वह अगले हफ्ते मामले की जांच के लिए तकनीकी...
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