Explained: 'नर्क के द्वार' को क्‍यों बंद करना चाहता है तुर्कमेनिस्‍तान?

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तुर्कमेनिस्तान के उत्तर में एक बड़ा-सा गड्ढा है जिसे गेट्स ऑफ़ हेल कहा जाता है। यह तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबत शहर से करीब 160 मील दूर है। यह गड्ढा करीब 69 मीटर चौड़ा और 30 मीटर गहरा है।

इस गड्ढे में बीते कई सालों से आग लगी हुई है। वैज्ञानिकों की मानें तो मीथेन गैस की वजह से इस गड्ढे में आग लगी हुई है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कई लोग मानते हैं कि सोवियत संघ के समय काराकुम के रेगिस्तानी इलाकों में तेल के भंडार खोजे जा रहे थे। इसी दौरान यहां की जमीन नीचे धंस गई और गड्ढे बन गए।

इन गड्ढों से मीथेन गैस निकलनी शुरू हो गई। यह गैस आसपास के जनजीवन को नुकसान पहुंचा सकती थी। इसलिए वैज्ञानिकों ने इसमें आग लगा दी ताकि मीथेन के रिसाव को रोका जा सके। वैज्ञानिकों का अंदेशा था कि यह आग कुछ दिनों में समाप्त हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कई भू वैज्ञानिक मानते हैं कि 80 के दशक से ही इसमें आग लगी हुई है।

हालांकि पिछले दिनों भी तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति ने गड्ढे में लगी आग को बुझाने के उपाय खोजने के आदेश दिए गए थे। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। राष्ट्रपति ने इसका नाम गेट्स ऑफ़ हेल से बदलकर शाइनिंग ऑफ़ काराकुम रख दिया था। वर्तमान में यह गड्ढा तुर्कमेनिस्तान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। हर साल हजारों सैलानी इस गड्ढे को देखने जाते हैं।

 

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