समग्र जल प्रबंधन नीति से बनेगी बात, भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप करनी होगी तैयारी

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समग्र जल प्रबंधन नीति से बनेगी बात, भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप करनी होगी तैयारी WaterManagement WaterManagementPolicy GeographicalConditions

विकास की अंधी दौड़ ने हमें जल प्रबंधन के बारे में सोचने का समय नहीं दिया है। हम बिना जल प्रबंधन के ही गांवों और शहरों का विस्तार करते जा रहे हैं। हमारे नीति नियंताओं का इस ओर ध्यान ही नहीं जा रहा है। वे निरंतर सड़कों का जाल बिछाते जा रहे हैं, किंतु जल जनित समस्याओं की ओरदेखा जाए तो आजादी के पहले ही अंग्रेजों ने जो विकास का पैटर्न अपनाया था, बाद में हमारे नियंताओं ने उसका तेजी से अनुसरण किया। परिणामस्वरूप हम हर वर्ष बाढ़ की भयंकर त्रसदी ङोल रहे हैं। बाढ़ विश्वव्यापी त्रसदी होने के बावजूद इस ओर...

विभिषिका हम देख ही रहे हैं। बाढ़ आने के अनेक कारण होते हैं, लेकिन हम अभी तक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि बाढ़ मानव जन्य संकट है। जब तक हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे तब तक इसके निदान की तरफ नहीं बढ़ सकेंगे। नदियों के मुहाने और तालाबों को भर कर लगातार विकास कार्य हो रहा है। लोग तत्काल तो समझ नहीं पाते, लेकिन जब बाढ़ की त्रसदी उन्हें निगल जाती है, तब अफसोस जताते हैं। अब समय आ गया है कि हमारी नदियों और तालाबों को बचाया जाए।नदियों के तल में गाद जमा होने से पानी का उफान पर होना स्वाभाविक है। इसका मुख्य...

कैसे बहुपयोगी बनाया जा सकता है इस बारे में भी विचार करना होगा। देशभर में नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में सिमट रहे जलाशयों का विस्तार करते हुए उनमें जलभंडार को बढ़ाना होगा जिससे बाढ़ की समस्या के साथ बड़ी आबादी के लिए जलापूर्ति की समस्या का भी समाधान सुनिश्चित किया जा सकता है।[लेखक- गांधी शांति प्रतिष्ठान से संबद्ध]

 

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