तवलीन सिंह July 14, 2019 2:27 AM पीएम मोदी। फोटो: इंडियन एक्सप्रेस दूसरी बार लोकसभा चुनावों में शानदार जीत हासिल करने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले भाषण में वादा किया एक नया भारत बना कर दिखाने का। इसलिए समझना मुश्किल है कि पिछले हफ्ते उस पुराने भारत की सबसे गंदी आदतों की यादें ताजा करने का काम क्यों उनके साथियों ने किया है। एक तरफ गोवा में दलबदलुओं का ऐसा स्वागत किया भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष ने जैसे बहुत बड़े नायक हों। दूसरी तरफ देखने को मिला कर्नाटक में उसी किस्म का घटिया...
इस पूरे नाटक से बू आती है उस पुरानी राजनीति की, जिसकी कोई जगह नहीं होनी चाहिए नए भारत में। उस पुरानी घटिया किस्म की राजनीति ने कांग्रेस पार्टी को अंदर से दीमक की तरह धीरे-धीरे तबाह किया है और अब उसी रास्ते पर चलने की कोशिश अगर भारतीय जनता पार्टी करती है, तो मुमकिन है कि उसका भी देखते-देखते वही हाल हो जाएगा, जो आज कांग्रेस का है। राज्य सरकारों को गिराने की परंपरा शुरू की थी इंदिरा गांधी ने 1959 में केरल की कम्युनिस्ट सरकार गिरा कर। उसके बाद विपक्ष की राज्य सरकारें गिराने की जैसे इंदिराजी ने...
फारुख की सरकार गिराने के कुछ महीने बाद इंदिरा गांधी ने आंध्र प्रदेश में एनटी रामाराव की सरकार गिराई, लेकिन एनटी रामाराव ने अपनी सरकार के गिरने को स्वीकार नहीं किया और अपने विधायक लेकर दिल्ली पहुंचे राष्ट्रपति के सामने साबित करने कि विधानसभा में उनकी कितनी ताकत है। नुकसान इस बार इंदिराजी का निजी तौर पर हुआ, क्योंकि पूरा विपक्ष संगठित हुआ और उनको चुनौती देने लगा।
इंडियन एक्सप्रेस अखबार में पिछले हफ्ते कर्नाटक के उन सोलह विधायकों के बारे में विस्तार से एक लेख छपा, जिसने साबित किया कि इनमें से ज्यादातर वही लोग थे, जो नाराज थे सिर्फ इसलिए कि उनको मंत्री नहीं बनाया गया कुमारस्वामी की सरकार में। ऐसे लोग अगर भारतीय जनता पार्टी में आने लगेंगे, तो किस मुंह से नरेंद्र मोदी नैतिकता की बातें कर सकेंगे? किस मुंह से वादा करेंगे नए भारत के निर्माण का?
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