रीतिका खेड़ा का कॉलम: कमजोर पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा मिथक ही है, ऑनलाइन पढ़ाई में स्मार्टफोन की कमी, इंटरनेट पर खर्च जैसी कई बाधाएं हैं

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रीतिका खेड़ा का कॉलम: कमजोर पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा मिथक ही है, ऑनलाइन पढ़ाई में स्मार्टफोन की कमी, इंटरनेट पर खर्च जैसी कई बाधाएं हैं ReetikaKhera columnist

Online Education For Children From Weaker Backgrounds Is A Myth, There Are Many Barriers To Online Education Like Lack Of Smartphones, Internet Spendingकमजोर पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए ऑनलाइन शिक्षा मिथक ही है, ऑनलाइन पढ़ाई में स्मार्टफोन की कमी, इंटरनेट पर खर्च जैसी कई बाधाएं हैंकुछ राग ऐसे होते हैं, जिन्हें बार-बार अलापना सही है। सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक जिंदगी में शिक्षा की अहमियत, शिक्षा के लिए साक्षरता की अहमियत, ऐसे ही रागों में से एक है। लॉकडाउन में स्कूल बंद हुए और प्राथमिक कक्षाएं तब...

चूंकि बच्चों के जीवन की चिंता है, कुछ गरीब अभिभावकों ने कर्ज लेकर बच्चे की पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन खरीदे हैं। स्मार्टफोन होना पहला पड़ाव है। इसके बाद परिवार के पास फोन रीचार्ज के लिए पर्याप्त पैसे होना भी जरूरी है। लॉकडाउन से इन परिवारों में आर्थिक दिक्कतें बढ़ी हैं और बीच-बीच में बच्चों की पढ़ाई इस वजह से भी छूट जाती है।

नियमित रूप से या फिर कभी-कभी पढ़ने वाले बच्चों में केवल 8-25% ऐसे थे जो ऑनलाइन क्लास या वीडियो से पढ़ रहे थे। ग्रामीण क्षेत्रों में, उन परिवारों में जहां स्मार्टफोन उपलब्ध है, 43% उत्तरदाताओं ने कहा कि स्कूल से कुछ भी पढ़ाई की सामग्री नहीं भेजी जा रही इसलिए वे नियमित रूप से पढ़ाई नहीं कर पा रहे। पढ़ाई के लिए अनुशासन अहम है। अनुशासन के लिए रुचि ज़रूरी है। जब ऑनलाइन शिक्षा चल रही हो, जहां आधा-अधूरा समझ में आ रहा हो, तब रुचि और अनुशासन, ख़ासकर छोटे बच्चों के लिए, कायम रखना बहुत कठिन हैं। बच्चों ने बताया कि जब ऑनलाइन क्लास हो रही है, तब भी उन्हें क्लासरूम की याद इसलिए आ रही है क्योंकि ऑनलाइन में वे सवाल नहीं पूछ पाते, संकोच कर जाते हैं। आसपास शोर होने की वजह से ध्यानपूर्वक पढ़ना मुश्किल है। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर कहीं वॉट्सएप ग्रुप में कुछ चित्र या फाइल भेज दी जाती...

 

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