गुमला के खाद्य सुरक्षा अधिकारी लव कुमार गुप्ता ने Local 18 को बताया फलों में जो स्टीकर लगाया जाता है, वह कंपनी की ओर से लगता है. इसमें ब्रांडिंग के साथ कोडिंग की जाती है. स्टीकर लगे फलों की क्वालिटी अच्छी होती है और ज्यादातर ये महंगे बिकते हैं. ये स्टीकर आपको सेब, संतरा, नाशपाती, पपीता, केला, चीकू, चेरी आदि फलों पर देखने को मिलेगा. खासकर महंगे फलों में कंपनियों ब्रांडिंग के उद्देश्य से भी स्टीकर लगाती हैं. कई फलों में लगे स्टीकर में कुछ अंक भी लिखे मिलते हैं.
अगर फल के ऊपर लगे स्टीकर पर 5 अंक लिखे हैं और पहले अंक की शुरुआत 9 से शुरू होता है तो इस कोड का मतलब है कि यह फल ऑर्गेनिक यानी जैविक विधि से उगाया गया है. फलों पर लगे स्टीकर में कई बार आपको चार अंक के नंबर भी दिखेंगे. इस कोडिंग का मतलब ऐसे फलों को कीटनाशक दवाओं और रसायनों की मदद से उगाया गया है. ये फल ऑर्गेनिक फलों से सस्ते और कम फायदेमंद होते हैं. वहीं, जिन फलों पर कोई स्टीकर नहीं होता, यानी वे सामान्य विधि से ही उगाए गए हैं और उनकी खेती में भी कीटनाशक और रसायन का इस्तेमाल किया गया है.
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