इससे अगले स्टेशन तक रूट क्लीयर माना जाता है. अगर ट्रेन स्टेशन पर नहीं पहुंचती तो स्टेशन पर लगे नेल बॉल मशीन अनलॉक नहीं होगी. जिसका मतलब था कि कोई भी ट्रेन उस ट्रैक पर नहीं आएगी .
दरअसल ट्रेन के ड्राइवर को स्टेशन मास्टर ये लोहे का रिंग देता था. जिसके मतलब था कि कि जिस ट्रैक पर गाड़ी चल रही है वह लाइन पूरी तरह से क्लीयर है. अपने डेस्टिनेशन पर पहुंचने के बाद ड्राइवर उस लोहे की रिंग को स्टेशन मास्टर के पास जमा कर देता था. लोहे की साधारण से दिखने वाली ये रिंग बड़े काम की है. ट्रेन के चलने और रुकने के लिए ये रिंग काफी जरूरी होती है. इस लोहे के छल्ले का मकसद ट्रेन को उसके डेस्टिनेशन तक सुरक्षित पहुंचाना है.
Indian Railway Driver Indian Railway Locopilot What Is Indian Railway Token Exchange System Railway Plateform भारतीय रेलवे फैक्ट रेलवे रेलवे ड्राइवर रेलवे लोकोपायलट की सैलरी ट्रेन का इंजन
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
इंजीनियर-डॉक्टर से भी ज्यादा कमाती हैं बॉलीवुड की Nannies, मिलता है इतना मोटा पैसाबॉलीवुड स्टार्स के बच्चों की नैनियों की सैलरी अक्सर सुर्खियों में रहती है। कई बार ये रकम इतनी ज्यादा होती है कि आम लोगों को हैरानी हो जाती है।
स्रोत: Jansatta - 🏆 4. / 63 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: Zee News - 🏆 7. / 63 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »