न्यू इंडिया में उच्च शिक्षा के बाज़ारीकरण का शिकार बनते जेएनयू जैसे संस्थान

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न्यू इंडिया में उच्च शिक्षा के बाज़ारीकरण का शिकार बनते जेएनयू जैसे संस्थान India Education HigherEducation Privatisation JNU भारत शिक्षा उच्चशिक्षा निजीकरण जेएनयू

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने भारतीय समाज में शिक्षा को लेकर बॉम्बे लेजिस्‍लेटिव काउंसिल में 12 मार्च 1927 को कहा था कि ‘शिक्षा एक ऐसी चीज है, जो सबको मिलनी चाहिए. शिक्षा विभाग ऐसा नहीं है, जो इस आधार पर चलाया जाए कि जितना वह खर्च करता है, उतना विद्यार्थियों से वसूल लिया जाए. शिक्षा को सभी संभव उपायों से व्‍यापक रूप से सस्‍ता बनाया जाना चाहिए.’

इसी तरह उच्च शिक्षा के मुनाफा आधारित व्यवसाय हो जाने पर वंचित शोषित तबका उच्च शिक्षा से दूर हो जाएगा. सार्वजनिक वित्त पोषित उच्च शिक्षा ‘पब्लिक’ से ‘प्राइवेट’ होकर बहुसंख्यक भारत के लिए दूर की कौड़ी होने के मुहाने पर खड़ी है.नब्बे के बाद वैश्विक स्तर पर उदारीकरण को बाजार की जरूरत बताकर स्वीकार किया गया. आर्थिक उदारीकरण की नीतियों ने सार्वजनिक उच्च शिक्षा के बाजारीकरण का रास्ता खोल दिया.

सरकार ने प्रावधान पेश किया है कि यूजीसी को समाप्त करके एक ‘उच्च शिक्षा अनुदान संस्था’ बनाया जाएगा. ‘हेफा’ के जरिए यूजीसी के मूल यानी सार्वजनिक वित्त अनुदान मुहैया कराने को ही समाप्त किया जाएगा. यही आलम देश भर के विश्वविद्यालयों में होने जा रहा है. इसके खिलाफ पिछले कई दिनों से जेएनयू में जबरदस्त आंदोलन हो रहा है. इस आंदोलन के दबाव में आकर जेएनयू प्रशासन ने आंशिक राहत देते हुए हॉस्टल फीस कम जरूर कर दी, लेकिन अभी बाकी के प्रावधान लागू ही हैं. इसके दूरगामी परिणाम भयावह होंगे.31 मई को डॉ. कस्तूरीरंगन समिति ने नई शिक्षा नीति का मसौदा तैयार कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंप दिया.

उच्च शिक्षा जहां स्थायी शिक्षकों की अप्रत्याशित कमी से जूझ रही है, वहां शिक्षक को ठेकेदारी के जरिए बोली लगाकर कॉन्ट्रैक्ट पर रखने का नीतिगत फैसला लेना उच्च शिक्षा को बर्बाद कर देगा. आज देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में कमोबेश आधे से अधिक पद खाली हैं. इन पदों पर कहीं-कहीं अस्थाई शिक्षक रखे गए हैं. कुछ जगहों पर तो ये भी नहीं है.

 

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25 saal ke purane fee ko review kar ke 10 rupayee ki jaga 20 rupayee maang liya toh woh bazari karan. Journalist ho ya chutiya ho.

जिस देश की सरकार शिक्षा स्वास्थ्य की सेवाएँ देने मे भी जनता की जेब खाली करवाने की नीति बनाए उसे शासन करने का अधिकार नही ।

बकवास

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