Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐपअमेरिका ने तालिबान बनाया और इजराइल ने हमास; आखिर इस संगठन को मदद और पैसा कहां से मिलता है, जानिए सबकुछ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से होय’। यह मुहावरा या कहावत ज्यादातर लोगों ने सुनी होगी। अब मुद्दे पर आते हैं। इजराइल और फिलीस्तीन के बीच जंग जारी है। फिलीस्तीनी जमीन से हमास इजराइल पर हजारों रॉकेट दाग रहा है। जवाब में इजराइल हवाई हमले कर रहा है। इजराइल में 8 और हमास के कब्जे वाले गाजा पट्टी में 88 लोग मारे जा चुके हैं। दुनिया...
जो लोग इजराइल-फिलीस्तीन विवाद से ज्यादा वाकिफ नहीं हैं, उनके लिए हमास नया नाम है। इजराइल इसकी तुलना अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से करता है। लेकिन, सच्चाई ये है कि हमास को जन्म देने वाला इजराइल ही है। ठीक वैसे ही, जैसे तालिबान को अमेरिका ने खड़ा किया। फिर तालिबान की मदद से अलकायदा बना। दोनों मामलों में एक चीज कॉमन है, और वो ये कि तालिबान हो या हमास- ये उन देशों के लिए ही मुसीबत बन गए, जिन्होंने इन्हें खड़ा किया।अरब देशों और इजराइल की दुश्मनी बहुत पुरानी है। 1948 में इजराइल दुनिया के नक्शे के तौर...
theintercept.com के मुताबिक, इजराइल के पूर्व जनरल यित्जाक सेजेव ने कहा था- जहर से जहर मारने की यह नीति एक ऐतिहासिक गलती थी। इजराइली सरकार ने मुझे हमास के लिए बजट भी दिया था। इसका अफसोस हमें आज भी है। सेजेव 1980 के दशक में गाजा के गवर्नर भी रहे। इजराइल के मुताबिक, हमास में करीब 27 हजार लोग हैं। इन्हें आर्म्ड फोर्स के सैनिकों जैसी ट्रेनिंग दी गई है। हमास ने फिलीस्तीन के लिबरल लीडरशिप को धीरे-धीरे किनारे कर दिया और खुद फिलीस्तीन आंदोलन का झंडाबरदार बन गया। इसमें 90% युवा फिलीस्तीनी हैं। एक रोचक तथ्य यह है कि हमास को ज्यादतर मुस्लिम देश ‘पत्थरों से जंग लड़ने वाला संगठन’ कहते हैं। लेकिन, सच्चाई क्या है? ये आप इन दिनों जारी जंग में देख सकते हैं। उनके पास हजारों रॉकेट भी हैं और लॉन्चर भी। आधुनिक हथियार भी हैं फॉरेन फंडिंग भी। लेकिन, ये भी...
ये इसलिए भी मुमकिन है क्योंकि इजराइल और अमेरिका ने ईरान के जनरल सुलेमानी समेत कुछ और अहम लोगों की हत्यायें की थीं। ईरान ने इसका बदला लेने की धमकी दी थी। जो भी हो, इतना तो तय है कि हमास को कुछ देश फंडिंग कर रहे हैं। इजराइल और अमेरिका के डर से ये खुलकर कुछ नहीं बोलते।सोवियत संघ ने 1978 में अफगानिस्तान पर कब्जे की कोशिश की। स्थानीय लोगों से संघर्ष चलता रहा। तब अमेरिका ने पाकिस्तान के तब के तानाशाह जनरल जिया उल हक के साथ मिलकर अफगानिस्तान के कुछ लड़ाकों को इकट्ठा किया। उन्हें तगड़ी फंडिंग की। 1994...
Matalab Musalmaan Bewkoof hai... Koi bhi inka istemaal kar saktaa hai...hai na...?
Isko paisa milta hai iran deta hai paise weapon, lebanon deta hai weapons, syria deta hai and russian weapons bhi hain inke pass khane peene ke kiye paise nahi hai gareeb hain yeh gaza wale lekin ladne ke liye full ready ever ready. Turkey ko bhool gaya sbse baada support
Matalab Musalmaan Bewkoof hai... Koi bhi inka istemaal kar saktaa hai...hai na...?
तालिबान - हमास- ISIS सभी एक ही बिरादरी संगठन : मरने - मारने वाले एक ही समुदाय के । दुनिया के आधी आबादी इनकी लेकिन किसी भी देश मे शांति नही
यह सब उन राष्ट्रों का कमाल है जो अपने हथियार बनाते हैं और भेजते हैं यही उनको हथियार सप्लाई कर आते है ताकि उनके तैयार ज्यादा से ज्यादा बिक सके
mishra5051 Or tum ne Dalali kiya
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