धर्म सम्मत कार्य करें, प्रतिफल की चिंता न करें

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धर्म सम्मत कार्य करें, प्रतिफल की चिंता न करें in a new tab)

इसी चाह में जीवन गुजर जाता है। यानी हम जिनसे प्रेम करते हैं वे भी हमें उतना ही प्रेम अभिव्यक्त करें। अपने करीबी जब विश्वास तोड़ते हैं तो हम खुद को बिखरा हुआ महसूस करते हैं। शास्त्र बताते हैं कि कभी प्रभु को मौका दो कि वह हमें प्रेम करें। कभी उसे हमारे द्वारा अभिव्यक्त होने का मौका दें तो जीवन सहज एवं सार्थक हो जाता है।

जब प्रभु के प्रति प्रेम भक्तों में उमड़ता है तो उसकी आंखों का नूर अलग ही दिखाई देने लगता है। उस उमड़ते सरस प्रेम को कोई भी महसूस कर पाएगा। सबसे पहला चिन्ह कि प्रभु प्रेम हुआ है, वह यह है कि उस व्यक्ति को कोई भी काम बोझिल नहीं लगता। उस व्यक्ति की कृतियों में निखार आ जाता है और वह जो भी कार्य करता है खूब मन लगाकर, क्योंकि वह ईश्वर, उसका अपना प्रभु, उसका इष्ट सदा उसकी चेतना में बसता है। कर्म योगी की एक ही इच्छा रह जाती है कि वह कैसे अपने प्रभु को प्रसन्न...

 

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