चीन का 'हाइपरसोनिक टेस्ट' क्या हथियारों की नई रेस की शुरुआत है? - BBC News हिंदी

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चीन का 'हाइपरसोनिक टेस्ट' क्या हथियारों की नई रेस की शुरुआत है?

लुइस कहते हैं, "चीन को डर है कि अमेरिका कई तरह से आधुनिक न्यूक्लियर फ़ोर्स और मिसाइल डिफ़ेंस तकनीक का इस्तेमाल कर सकता है जो कि उनकी न्यूक्लियर डिफ़ेंस की तुलना में बहुत अधिक है."

उनका मानना है रूस और चीन दोनों ही हाइपरसोनिक सिस्टम को मिसाइल डिफ़ेंस की काट की तरह देखते हैं. वहीं, अमेरिका इसे बड़े ठिकानों जैसे कि न्यूक्लियर कमांड और कंट्रोल सेंटरों पर हमले के लिए तैयार करना चाहता है.अमेरिका के न्यूक्लियर आधुनिकीकरण के समर्थक चीन के हालिया टेस्ट को "स्पूतनिक के लम्हे" की तरह देखते हैं जब 1950 में सोवियत यूनियन की पहली ऑरबिटल सैटेलाइट ने अमेरिका को चौंका और डरा दिया था.

वो कहते हैं, "मुझे डर है कि ये 9/11 के हमले के बाद वाले हालात की तरह है जब हम चौंक गए थे और डर और निशाने पर होने की भावना से ग़ुजर रहे थे. उसके बाद हमने विदेश नीति से जुड़े कई ऐसे फ़ैसले भी लिए जिसने हमें और भी असुरक्षित बना दिया."

 

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हथियारों की रेस तो, तब तक चलती रहेगी, जब तक खरीदार रहेंगे। और देश अपने को सबसे ताकतवर बताने का प्रयास करते रहेंगे। हथियार विक्रेताओं का धंधा चलता रहेगा।

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