Kishanganj News : शेरशाहवादी महिलाओं की खास पहचान बन चुकी है खेता कढ़ाई, कला को आगे बढ़ाकर हो रही आत्मनिर्भर किशनगंज जिले में लगभग 500 वर्ष पुरानी 'खेता' कला को आगे बढ़ाकर शेरशाहबादी महिलाएं आज आत्मनिर्भर बन रही हैं. यह वह कला है जिसमें कलात्मक अभिव्यक्ति है. वहीं शेरशाहबादी महिलाओं के बीच यह कला काफी प्रचलित है.
खेता कला से रजाई और साड़ियां, कुशन कवर, स्टोल आदि बनाई जा रही हैं. सीमांचल के किशनगंज और अन्य जिलों पूर्णिया और कटिहार में इस कला का इतिहास करीब 500 साल पुराना है. शेरशाहबादी समुदाय शेरशाह सूरी के वंशज माने जाते हैं. इस कला से जुड़ी अधिकांश महिलाएं इसी समाज से आती हैं. इस कला से जुड़ी महिलाओं का कहना है कि पहले निजी उपयोग के लिए पुराने कपड़ों पर कढ़ाई कर कुछ उत्पाद बनाये जाते थे, लेकिन आज बाजार को ध्यान में रखकर नए कपड़ों पर इस कला का उपयोग हो रहा है.
इस कला को बढ़ावा देने में जुटे अशराफुल हक ने बताया कि आज 250 से ज्यादा महिलाएं खेता कला से उत्पाद तैयार कर रही हैं, जबकि 1000 से ज्यादा महिलाएं इस कला से जुड़ी हैं. सलया देवी ने कहा,"हमारा काम भी चारदीवारी के भीतर ही रह जाता, लेकिन अशराफुल जी ने आजाद इंडिया फाउंडेशन के जरिये इस कला को पुनर्जीवित किया. आज कई सरकारी स्टॉलों पर यहां के उत्पाद पहुंच रहे हैं. कई शहरों में प्रदर्शनी लगाई जाती है.
Kheta Art Kishanganj Local Sher Shahwadi Women Kishanganj Hindi News Bihar News News National News Bihar
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: Zee News - 🏆 7. / 63 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »
स्रोत: NDTV India - 🏆 6. / 63 और पढो »
स्रोत: Dainik Bhaskar - 🏆 19. / 51 और पढो »