Exclusive: संसद में सांसद सीखेंगे संस्कृत, 10 दिनों का शिविर लगाएगा संघ का संगठन

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आरएसएस ने देश में संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने की दिशा में जोर देना शुरू किया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने देश में संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने की दिशा में जोर देना शुरू किया है. झुग्गी-झोपड़ियों से लेकर अब देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद भवन में भी दस दिन का शिविर लगाने की तैयारी है. यह प्लान आरएसएस के अनुषांगिक संगठन संस्कृत भारती ने तैयार किया है.

संसद भवन में संस्कृत सिखाने वाले शिविर के आयोजन के लिए संघ इसलिए भी उत्साहित है, क्योंकि इस बार संसद में जहां संस्कृत में शपथ लेने वाले सांसदों की संख्या बढ़ी है, वहीं अंग्रेजी में शपथ लेने वाले सांसदों की संख्या घटी है. संघ की कोशिश है कि अगली लोकसभा में अंग्रेजी से ज्यादा संस्कृत में शपथ लेने वाले सांसद रहें. ताकि अंग्रेजी के दबदबे को चुनौती देते हुए देश में संस्कृत को लेकर बड़ा संदेश जाए.

संसद भवन में संभाषण शिविर लगाने के सिलसिले में संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत की पिछले दिनों लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात हो चुकी है. संस्कृत भारती का यह प्रस्ताव ओम बिड़ला को भा गया है. उन्होंने जल्द दस दिनों के लिए शिविर आयोजित करने का आश्वासन दिया है.दरअसल आरएसएस की कोशिशों के चलते देश में संस्कृत का प्रसार हालिया वर्षों में बढ़ा है. सांसद संस्कृत में शपथ लेने में रुचि और गर्व महसूस करने लगे हैं.

इसके पीछे आरएसएस की प्रेरणा बताई जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन, प्रताप चंद सारंगी, गढ़वाल सांसद और बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव तीरथ सिंह रावत, मीनाक्षी लेखी, पश्चिम बंगाल बीजेपी अध्यक्ष और मिदिनापुर सांसद दिलीप घोष आदि ने इस बार संस्कृत में शपथ लिया. ऐसे सभी सांसदों को सोमवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में संस्कृत भारती की ओर से सम्मानित भी किया गया. मगर, संस्कृत भारती देश की सबसे बड़ी पंचायत के सभी सांसदों में संस्कृत के प्रति प्यार पैदा करने की कोशिश में है.

डॉ. अंबेडकर ने भी संस्कृत को राष्ट्रभाषा घोषित करने की वकालत की थी. कुछ लोगों ने तब उनसे सवाल पूछा था कि आप तो दलित हैं, फिर कैसे ब्राह्मणों की भाषा की वकालत कर रहे हैं. इस पर उन्होंने कहा था कि संस्कृत जन-जन की भाषा है. अंबेडकर ने खुद से सवाल करने वालों से पूछा था- वाल्मीकि किस वर्ग के थे, उन्होंने भी तो संस्कृत में रामायण की रचना की थी? दिनेश कामत ने कहा कि संस्कृत ही ऐसी भाषा है जो पूरे देश को एक सूत्र में बांध सकती है.

 

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Thik to h hm aarbi bolenge

Desh ko devide and rule krke hindu Muslim krke inhi netao ne hm logon ko ladwane ka kam kiya h pls doston rss or bjp ki gandi soch ki wajah se hm log aaps me presan h ek baat boloon na hindu khin jane wala na musalmaan fr ye neta bich me bolne wala kon khabardar gaddaaron HMSI🤝

होना भी चाहिए

90% RSS joined people does not know how to speak and how to write Sanskrit.

कभी नहीं होगा क्योंकि अब सत्यनारायण कथा भी हिंदी में होता है।।

Very good step . Sanskrit is great language and Dev Bhasha 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

तो हिन्दी भाषा का क्या होगा?

ढंग से हिंदी बोल लो पेहले चड्डियों

RSSorg तो संस्कृत बोलने वालों को ब्राह्मण माना जाएगा क्या

संस्किरित से मिला हम सब को सिक्झा का गियान।आज हम भरतीय भुल रेहे है।मोदी जी की जय हो।जो फिर दिला रहा है।हम सब को संस्किरित सिक्झा का गियान

Isme Galat kya he shanskrut hamari praachin shanskruti ka samanvai jai hind 🇮🇳🙏

RSSorg Are you mad? You are gonna invest into which is become outdated. Cannot you see the future? Even Hindi is going to disappear in the next 20 years.

Sanskrit bolchaal ki bhasha kabhi thi hi nahi. Isi liye doosre simpler scripts or dialects ka invention hua, jaise jaise Insaan mand buddhi hota Gaya..... Aapko pata hai Chinese (mandarin) mein kitne letters hote hain aur unke pronunciation

महान कार्य ।

संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार होगा और हर व्यक्ति संस्कृत भाषा को अपनी बोलचाल भाषा बनाएगा क्योंकि संस्कृत भाषा देववाणी है इसे बोलना चाहिए हर शहर में हर नगर में हर ग्राम में सभी लोगों को संस्कृत भाषा को बोलने को प्रेरित करना चाहिए।

RSS =BJP or BJP=RSS

जब कुछ करने का वक़्त था तब ही कुछ नही किए आज़ादी के वक़्त अब क्या करेंगे यह लोग देश के लिए? सिर्फ नफरत ओर बातों के कुछ नही आता है

सांसदों को पहले वन्दे मातरम् पूरा सिखाना चाहिये,, मीडिया में नाक कटा कर चले आते है

बेकार की कवायद...हिंदी तो इनसे संभलती नही ।

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