twitterचीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस के संक्रमण ने देखते ही देखते पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। चीन ने इस पर काबू तो पाया लेकिन हाल ही में वहां पर फिर से बिना लक्षण वाले मरीज दिखने लगे। कुछ ऐसे भी देश हैं जिन्होंने Covid 19 को रोकने के लिए बेहतरीन इंतजाम किए और इन्होंने संक्रमण के मामले को बढ़ने से रोकने में काफी हद तक बड़ी जीत भी हासिल की। कोरोना वायरस की महामारी ने जब भारत में प्रवेश किया तो यहां पर मार्च से लॉकडाउन लागू करके संक्रमण के बढ़ते हुए मामलों को काफी हद तक सीमित रखा...
सीडीसी ने इस बात की पुष्टि की है कि पूरी दुनिया में संक्रमण के मामले को देखते हुए अगर मौत का आंकड़ा देखा जाए तो वह काफी कम है। उसने यह भी बताया कि आखिर मौत का आंकड़ा इतना कम कैसे है और उसका क्या कारण है?We have to fight with corona together and there shoulnot be any plitics involved in this.
सीडीसी ने यह भी बताया कि लक्षण ना दिखने वाले मरीजों से भी मौत के आंकड़े में काफी कमी आई है। इससे शरीर में संक्रमण फैलने की स्थिति बेहद खराब नहीं होती और मरीज को सही समय पर इलाज मिले तो वह ठीक भी हो जाता है। कोरोना वायरस से होने वाली कम मौत के आंकड़े में इसे भी एक मुख्य कारण माना जा सकता है। इन सबके बीच विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि पूरी दुनिया में ज्यादातर कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले लोगों की उम्र 60 साल के ऊपर देखी गई है। ऐसे लोगों कीभी कमजोर थी और इलाज में लगने वाले लंबे समय के बीच उन पर इलाज का असर भी ठीक तरीके से नहीं हो पाया जिसके कारण उनकी मौत हो गई। हालांकि, कुछ ऐसे भी मामले सुनने में आए हैं जिसमें 20 से 30 साल की उम्र के लोगों को भी मौत हुई है।अंडरलाइंग डिसीज वाले लोगों की संख्या...
अंडरलाइंग डिसीज जैसे कि हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, कैंसर आदि बीमारियों से जूझ रहे लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण का शिकार बड़ी आसानी से होना पड़ा। कोरोना वायरस का संक्रमण जब पूरी दुनिया में अपने पांव पसार रहा था तो उसी बीच सीडीसी ने इस बारे में गाइडलाइन जारी की थी किसीडीसी ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि कोरोना वायरस संक्रमण से ऐसे लोगों के मरने की संख्या ज्यादा है, जिन्हें किसी न किसी प्रकार का रोग था। इसका मतलब ऐसे लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से अभी भी बचे रहने की पूरी कोशिश...
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