2019 की विदाई में अब चंद रोज ही बचे हैं. लेकिन यह साल भी हर साल की तरह कई गहरे जख्म देकर जा रहा है. जख्मों में कई जख्म ऐसे भी हैं जो लंबे समय तक सालते रहेंगे. गैंगरेप ही नहीं बड़े कई हादसों, कत्ल और मानव निर्मित या प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझता रहा यह साल. साल गुजरने से महज 24 दिन पहले दिल्ली ने एक ऐसा दर्दनाक हादसा देखा जिसे लंबे समय तक भुला पाना आसान नहीं होगा. ऐसी आपदाओं से यूं तो हर साल बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान होता ही है, कई परिवार बुरी तरह से प्रभावित भी होते हैं.
90 फीसदी जली युवती को पहले स्थानीय, फिर लखनऊ और उसके बाद इलाज के लिए दिल्ली लाया गया, लेकिन अगले दिन 6 दिसंबर की रात उसने दम तोड़ दिया. रेप की यह दो ऐसी बड़ी घटना है जिसने पूरे देश में महिलाओं की सुरक्षा के लिए लोगों को फिर से आंदोलित कर दिया.कन्नौज में 7 साल की लड़की से रेप और मौत,12 हड्डियां टूटी सितंबर में झारखंड में उप प्रिसिंपल और क्लास टीचर ने चौथी कक्षा की छात्रा के साथ रेप कर दिया था. नवंबर में तमिलनाडु भी ऐसे ही रेप की घटना का गवाह बना जब कोएम्बटूर में अपने दोस्त के साथ जन्मदिन मनाने जा रही नाबालिग लड़की के साथ 6 लोगों ने रेप कर दिया. रेप के मामलों के ये चंद सबूत हैं लेकिन आए दिन कहीं न कहीं रेप की घटनाएं हो रही हैं.मानव निर्मित हादसों की बात करें तो यह साल अग्निकांड वाला साल भी रहा. राजधानी दिल्ली के अलावा मुंबई और सूरत समेत कई शहर आग की लपटों से घिरे रहे.
जून में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले के बंजार में ओवरलोडेड निजी बस गहरे खाई में गिर जाने से 47 लोगों की मौत हो गई. इसी तरह 14 जुलाई को सोलन जिला के कुम्मारहटटी में लंच पर आए असम रायफल के जवानों पर उस समय मौत टूट पड़ी जब चार मंजिला इमारत तेज बारिश में धंस गया. इसी भवन में करीब 35 जवान लंच करने रुके थे. मलबे में करीब 30 लोग दब गए, जिनमें से असम रायफल के 12 जवानों समेत 1 स्थानीय महिला की मौत हो गई.
9 अक्टूबर को राजस्थान के धौलपुर के पार्बती नदी में मूर्ति विसर्जन के दौरान एक बड़ा हादसा हो गया जिसमें 10 लोग डूब गए. 17 जुलाई को सोनभद्र के घोरावल तहसील क्षेत्र के उम्भा गांव में जमीन विवाद में हुए नरसंहार में 11 लोग मारे गए. हादसे के दिन 17 जुलाई को जमीन विवाद में हुई हिंसा में 3 महिलाओं समेत 10 लोगों की हत्या कर दी गई थी. जबकि 28 लोग घायल हुए थे जिसमें एक घायल की मौत 1 सितंबर को हो गई.मानव निर्मित हादसों के अलावा प्राकृतिक आपदाओं से भी देश खासा त्रस्त रहा. बारिश के सीजन में भारी बारिश के अलावा बेमौसम बारिश ने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा. इस बार तो सालभर बारिश का दंश झेलते रहे.
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