क्या पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए मुसलमानों को नागरिकता संशोधन कानून में स्थान नहीं दिया गया है तो इससे संविधान की भावना को ठेस पहुंची है? देखा जाए तो उक्त देशों के मुस्लिम विशेष को नागरिकता देना या न देना संविधान के अनुच्छेद 14 का मामला न होकर संविधान के भाग-2 में निहित अनुच्छेद 11 के अंतर्गत निर्मित नागरिकता कानून का मामला है जो केवल लोगों की नागरिकता को निर्धारित करता है, न कि उनके साथ भेदभाव को राष्ट्रपति की मुहर लगते ही नागरिकता कानून-2019 अस्तित्व में आ गया...
अब पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, पारसी और ईसाई समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता मिलनी सुलभ हो जाएगी। हालांकि नागरिकता उन्हें ही मिलेगी जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आए हैं। स्पष्ट कर दें कि इस कानून को लेकर विपक्ष के अलावा जनमानस की भी राय बंटी हुई है। जिसका प्रमुख कारण मुस्लिमों को इससे अलग रखना है।कानून की खासियत यह है कि पहले नागरिकता हासिल करने के लिए भारत में रहने की अवधि 11 वर्ष थी अब इसे 5 साल कर दिया गया है। गौरतलब है कि नागरिकता कानून 1955 के...
हालांकि असम के कुछ क्षेत्र समेत इनर लाइन परमिट वाले राज्य इस कानून से अछूते रहेंगे। देखा जाए तो यह काल और परिस्थितियों के बदलावस्वरूप लिया गया एक फैसला है, जिसके चलते सरकार उन्हें नागरिक बनाने का प्रयास कर रही है जो उक्त देशों के गैरमुस्लिम हैं और आजादी से पहले वे भी भारत का हिस्सा थे। इस कानून से इस बात की भी पुष्टि होती है कि 1947 का शेष 2019 में पूरा किया जा रहा है।बावजूद इसके बड़ा सवाल यह है कि हिंदुओं को तो नागरिकता मिल जाएगी, पर असम के भीतर जो 6 लाख मुस्लिम हैं उनका क्या होगा? ऐसे सवाल पर...
भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची में आने वाले पूर्वोत्तर भारत के कई इलाकों को इससे मुक्त रखा गया है, जबकि छठी अनुसूची के असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के कुछ क्षेत्र इसमें शामिल हैं। हालांकि इस नागरिकता कानून के चलते भारत की आबादी पर भी प्रभाव पड़ेगा। तीन पड़ोसी देशों से करीब 32 हजार लोग भारत में लंबी वीजा अवधि पर रह रहे हैं जिन्हें तुरंत फायदा होगा। इसमें 25 हजार हिंदू, 58 सौ सिख, 55 ईसाई, दो बौद्ध, दो पारसी शामिल हैं। अमेरिका से लेकर यूरोप तक के कुछ समाचारपत्र भारत की पंथनिरपेक्षता पर सवाल...
पूर्वोत्तर के लोग नहीं ये घुसपैठिए हैं जो आतंक फैला रहे है
पूर्वोत्तर का हक संरक्षित है फिर भी वहां लोग अकाजक आंदोलनरत हैं। वजह केंद्र और राज्य में भाजपा का सरकार बनने से तस्करी का धंदा में मंदी चल रहा है। पूर्वोत्तर तस्करी का स्वर्ग राज्य है। जबर्दस्त चाइनीज प्रभाव है।
पुलिस आज से अभी से अपना काम करना छोड़ देगी। लेकिन क्या गारण्टी है कि ये भड़वे देश जलाना छोड़ देंगे। पढ़ाई करो नोकरी करो,,,,, दंगा और आपराधिक राजनीति मत करो वरना ऐसे ही कुटे जाओगे।
Konse samvidhaan me likha hai ki Religion ke base pe citizenship milega. Corrupt/Dalli media apna kaam sahi se kre to kisi ko darne ki zarurt nhi.
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