'वक्फ का कैरेक्टर है किसी भी संपत्ति पर कब्जा करना और...' शाही ईदगाह विवाद में हिंदू पक्ष की कोर्ट में दलील...

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Krishna Janmabhoomi Shahi Eidgah: हिंदू पक्ष के वकील ने ज्ञानवापी मामले में पारित निर्णय का भी हवाला दिया, जिसमें अदालत ने कहा था कि धार्मिक चरित्र एक दीवानी अदालत द्वारा ही तय किया जा सकता है. यह वाद शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के बाद जमीन का कब्जा लेने और मंदिर बहाल करने के लिए दायर किया गया है.

प्रयागराज. मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद मामले में हिंदू पक्ष की ओर से रीना एन. सिंह ने मंगलवार को दलील दी कि किसी भी संपत्ति पर अतिक्रमण करना, उसकी प्रकृति बदलना और बिना स्वामित्व के उसे अपनी संपत्ति बताना वक्फ का चरित्र रहा है. उन्होंने कहा कि इस व्यवस्था की अनुमति नहीं दी जा सकती है. उन्होंने कहा कि वाद की पोषणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए मुस्लिम पक्ष की ओर से कहा गया कि 1968 में एक समझौते के तहत यह संपत्ति उनके पक्ष में आई, लेकिन उस समझौते में स्वामी पक्षकार नहीं था.

उन्होंने कहा कि गैर पोषणीयता के संबंध में अर्जी पर साक्ष्यों को देखने के बाद ही निर्णय किया जा सकता है. इस मामले में सुनवाई न्यायमूर्ति मयंक कुमार जैन की अदालत द्वारा की जा रही है. अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 15 मई को करने का निर्देश दिया. इससे पूर्व, दो मई को, हिंदू पक्ष की ओर से दलील दी गई थी कि पूजा स्थल कानून, 1991 के प्रावधान इस मामले में लागू नहीं होंगे क्योंकि इस कानून में धार्मिक चरित्र परिभाषित नहीं किया गया है.

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