से कहा, ‘कांग्रेस स्पष्ट रूप से फैसले का विरोध करेगी क्योंकि अमर जवान ज्योति उनके समय में आई थी. लेकिन अब युद्ध स्मारक के साथ, सैनिकों की स्मृति में दो अलग-अलग ज्योति रखने का कोई मतलब नहीं है. दोनों का विलय करना सही फैसला है. सरकार ने इसे औपनिवेशिक ढांचा मानते हुए एक राजनीतिक फैसला लिया है, वे चाहते तो इसके आस-पास ही स्मारक बना सकते थे.’
बांग्लादेश युद्ध के पूर्व सैनिक मेजर जनरल डॉ. जीसी द्विवेदी ने कहा कि अमर जवान ज्योति 1971 के युद्ध में शहीद सैनिकों के लिए बनी थी. उसके बाद हमने कारगिल और सियाचिन में जवानों को खोया, लेकिन हमारे पास राष्ट्रीय पहचान वाला युद्ध स्मारक नहीं था, लेकिन अब है. बहरहाल, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल तेज सप्रू ने कहा कि वह दोनों ही विकल्पों से संतुष्ट थे कि अमर जवान ज्योति को जलते रहने दिया जाए या विलय कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि अगर जलने देते तो भी कोई नुकसान नहीं होता, हालांकि मुझे इससे भी कोई समस्या नहीं है कि अब नये स्मारक को शहीदों की शहादत का केंद्र माना जाएगा. हम हमेशा ही मौजूदा बुनियादी ढांचे में सुधार करके नई चीजें जोड़ते हैं, इसलिए इस पर विवाद नहीं होना चाहिए.
सेना के पूर्व अधिकारी और वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट के वकील मेजर गुनीत चौधरी का कहना है कि अगर अमर जवान ज्योति को जलते रहने दिया जाता तो कोई नुकसान नहीं था. उन्होंने कहा, ‘यह हमारे इ्तिहास का हिस्सा है, जो 1971 में इसकी स्थापना से जुड़ा हुआ है.’ उन्होंने कहा कि 1971 और इसके पहले तथा बाद में हुए युद्ध सहित सभी युद्धों में शहीद हुए भारतीयों के नाम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में अंकित हैं. वहां शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करना एक सच्ची श्रद्धांजलि है.इंडिया गेट पर अमर जवान ज्योति की मशाल को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की ज्योति की मशाल के साथ मिलाए जाने को लेकर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को दुख जताते हुए केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी पर हमला करते हुए ट्वीट किया, ‘जिन्होंने…जवानों द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक का प्रमाण मांगा, शहीदों को समर्पित प्रथम राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धांजलि नहीं दी, सुना है वह आज राष्ट्रभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि इंडिया गेट पहले विश्व युद्ध में कुर्बानी देने वाले भारतीय सैनिकों का स्मारक है, जबकि अमर जवान ज्योति 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में भारत की विजय में शहीद होने वाले सैनिकों की याद में बनाया है क्योंकि उस वक्त कोई युद्ध स्मारक नहीं था.
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🙏 बहुत जल्द जनता भी इनका विलय... निश्चित करेगी... अमर ज्योति इन साहब से क्या मांग रही थी.. साहब ज्योति जलाने से ज्यादा बुझाने में विश्वास रखते है.. गलतफहमी में है.. घंटा लाल.. सारे देश की धरोहर उनके दल की या उनकी व्यक्तिगत नही है.. 2024 विलय कर देगी जनता🙏
ईस काम में ये माहीर है दो मत करना है
जयभीम 🐘
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