दंगल, चिल्लर पार्टी और भूतनाथ रिटर्न जैसी सधी हुई फिल्में देने वाले नितेश तिवारी की फिल्म 'छिछोरे' में बहुत जरूरी विषय उठाया गया है। उसे प्रभावी तरीके से पेश करने की कोशिश भी पूरी की गई है। यह कोशिश जहन में उतरती जरूर है, पर दिल को छूने से रह जाती है।छिछोरे का सब्जेक्ट मुख्य रूप से कॉलेज स्टूडेंट्स के दिमाग पर रिजल्ट का दबाव है। इस दबाव को वे कैसे हैंडल करें, फिल्म में यही दिखाया गया है। इसके अलावा आज दोस्ती सही मायने में क्या है उसमें भी गहरा उतरने की कोशिश की गई है। फिल्म इन दोनों...
यह बताने की कोशिश की जाती है कि सफल होने पर जिंदगी में क्या-क्या किया जाए उसकी प्लानिंग तो सबके पास है,पर सफलता ना मिलने पर असफलता के साथ कैसे डील करना है, उसकी प्लानिंग भी होनी चाहिए। इसके लिए नायक अन्नी की कहानी फ्लैशबैक में जाती है। 92 के दौर में उसका दाखिला देश के बेस्ट इंजीनियरिंग कॉलेज में होता है। पर वहां उसे कॉलेज के लूजर्स को अलॉट हुए हॉस्टल फोर में कमरा मिलता है।
उसकी गहरी दोस्ती सेक्सा, बेवड़ा, मम्मी, एसिड और डेरेक से होती है। कॉलेज के क्रीम बच्चे हॉस्टल थ्री में रहते हैं। वहां रैगी और उसकी पलटन के सामने नायक अन्नी और उसके दोस्त तकरीबन लूजर होते हैं। वे लूजर स्कूल स्पर्धा के जरिए कैसे सबको आश्चर्यचकित कर देते हैं फिल्म उस बारे में भी है।इसी बीच कॉलेज की सबसे खूबसूरत लड़की माया संग प्यार की कहानी का ट्रैक भी चल रहा होता है। हॉस्टल लाइफ में बनी दोस्ती कितनी गहरी होती है, उसे दिखाने में नितेश तिवारी को कलाकारों का भी बखूबी साथ मिला है।सुशांत सिंह राजपूत...
मेकअप मैन और कॉस्टयूम डिपार्टमेंट की टीम ने भी इस लिहाज से बेहतरीन काम किया है। उम्र दराज हो चुके किरदारों को उस गेट अप में बखूबी दिखाया गया है। कमी थोड़ी बहुत फिल्म की राइटिंग में ही रही। फिल्म जिस बात को लेकर शुरू होती है, उसमें गहराई तक उतर नहीं पाती है। इस पोर्शन में राइटिंग टीम कमजोर हो जाती है। वह कहीं ना कहीं हॉस्टल लाइफ की मस्ती और दोस्ती की आपसी बॉन्डिंग को ही दिखाने में उलझ कर रह जाती...
इंजीनियरिंग कॉलेज में जाकर इंजीनियरिंग के बजाय स्पोर्ट्स के जरिए खुद को बेहतर करने का सोप ओपेरा बन कर रह जाती है। अगर फिल्म उस हिस्से को ज्यादा तलाशती और तराशती तो यकीनन यह फिल्म तारे जमीन पर और 3 ईडियट्स का एक्सटेंशन हो सकती थी। यह फिल्म अच्छी पहल तो है पर कल्ट बनने से रह जाती है। गीत संगीत के लिहाज से भी यह प्रीतम और अमिताभ भट्टाचार्य की जुगलबंदी की औसत पेशकश है। राइटर्स यह भी स्टाइलिश नहीं कर पाते हैं कि नायक और नायिका के बीच विवाद क्यों और कैसे हुआ, जबकि पूरी फिल्म में दोनों खुद को कसूरवार...
इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें
Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: News18 India - 🏆 21. / 51 और पढो »
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: Zee News - 🏆 7. / 63 और पढो »
स्रोत: Dainik Jagran - 🏆 10. / 53 और पढो »
स्रोत: Dainik Bhaskar - 🏆 19. / 51 और पढो »