सिस्टम शब्द जानबूझकर इस लेख में नहीं लिखा गया है. वह एक सुंदर शब्द है. इस देश का सिस्टम बहुत सारे लोगों ने बहुत जतन और प्यार से संजोया है. न किया होता तो न इतने अस्पताल होते, न इतने डॉक्टर, न इतनी सारी मनुष्यता. पर शिश्टम हमेशा की तरह राजधर्म से फिर भटकता रहा और प्रजा को मूल विषय से भटकाता रहा.
शिश्टम के लिए देश, देश में रहने वाले, देश के बुजुर्ग, बीमार, डॉक्टर, समाजसेवी कितने महत्वपूर्ण हैं और उनको लेकर तथाकथित अवधारणा कैसी है, कोरोना ने बहुत ही निर्णायक तरीक़े से इस सच को उधेड़कर रख दिया है.मरना किसी का भी हो, दुखद होता है. समाज, समुदाय कोशिश करते हैं कि जाने वाले को जितना हो सके, गरिमा और आदर के साथ विदाई दी जाए. फांसी की सज़ा दिए जाने वालों के साथ भी एक प्रोटोकॉल का पालन किया जाता है.
इशारों और वक्रोक्तियों में कहने की विधा को शास्त्रीय बनाने का श्रेय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नेतृत्व के पास पहले से है. राग दरबारी उपन्यास के चरित्र वैद जी की तरह ब्रह्मवाक्यों में बात कहना, जिससे न तो कोई असहमत हो, न कोई सीधा मतलब निकले. सब बस संकेतों में पढ़ लें, जो मंशा है. शिश्टम चाह रहा है कि लोग जान न लें. जब ज़्यादातर चैनल अपनी दुम टांगों के बीच दबाए बैठे थे, कुछ अख़बारों ने अपने रिपोर्टरों को अपने बाड़ों के बाहर भेजा और ढंग की रिपोर्टिंग देखने को मिली.
इस बीच ट्विटर ने भी बता दिया कि पार्टी के कई नेता और शिश्टम के कई मंत्री ‘मैनिपुलेटड मीडिया’ इस्तेमाल कर रहे हैं. क्या ये आपने भी ये नोटिस किया है कि प्राइम टाइम के दौरान कुत्ते सड़क पर कम भौंकते हैं. शिश्टम ने बहुत पहले कहा था कि उसे बहुत अफसोस होता है, जब एक कुत्ते का पिल्ला भी गाड़ी के नीचे आ जाए. यहां तो इंसानों की बात है. शिश्टम अगर अपना काम थोड़ा ठीक से कर लेता तो बहुत सारे लोगों को मरना नहीं पड़ता.जब पानी सिर से ज़्यादा चढ़ गया तो प्राइम टाइम के मजमे सजाने वालों से शिश्टम ने कहा गया कि शिश्टम को दोष दे दो, पर शिश्टम चलाने वाले को इससे बाहर रखो. शिश्टम सड़ चुका है. शिश्टम दोषी है. शिश्टम बेकार है.
और शिश्टम हरकत में आया तो, पर ज़मीनी हक़ीक़तों से दो चार होने के लिए नहीं. वह प्रजा और दुनिया को वह रायता देखे जाने से रोकना चाहता है, जो ख़ुद उसने फैलाया है. जब बहुत हुआ तो शिश्टम चलाने वाले ने भी आधा अटका आंसू दिखलाकर पूरा मुशायरा लूटने की फिर से कोशिश की. हालांकि बहुत से लोग इसका अंदाज़ा लगा चुके थे.
एक जगह तो पूरे आईसीयू में ही आग लग गई. एक साध्वी सांसद लोगों पर बजाय वैक्सीन लगवाने, मास्क पहनने के गोमूत्र पीने की सलाह दिए जा रही हैं, जिसे नाथूराम गोडसे बेइंतहा पसंद हैं और जिसे हमारे शिश्टम के प्रधानसेवक मन से माफ नहीं करने की बात कह रहे थे.
Reality is UPGovt itcell bhakats were denying existence of these hindus buried there - then they declare these r non hindus amd now with saffron sheets over ganga dead bodies - modi and yogiadityanath stands exposed. Vishwaguru bharat atamnirbharbharat makeinindia
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