लॉकडाउन के कारण नहीं होगा पिंडदान: गया में इस साल भी हिंदुओं का महत्वपूर्ण कर्मकांड टला; नहीं लगेगा पितृपक्ष मेला, अकाल मृत्यु की शिकार आत्माओं के लिए भी प्रेतशिला पर्वत पर नहीं उड़ेगा सत्तू

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लॉकडाउन के कारण नहीं होगा पिंडदान: गया में इस साल भी हिंदुओं का महत्वपूर्ण कर्मकांड टला; नहीं लगेगा पितृपक्ष मेला Bihar Gaya

लॉकडाउन की वजह से लगातार दूसरी बार पितृ पक्ष का मेला नहीं लगेगा। नतीजतन पिंडदान भी नहीं होगा। गया शहर से महज 15 किलोमीटर दूर प्रेतशिला पर्वत पर इस बार भी आत्माएं भूखी रहेंगी। हिंदू धर्म में पुनर्जन्म की मान्यता है और जब तक पुनर्जन्म या मोक्ष नहीं होता, आत्माएं भटकती हैं। इनकी शांति और शुद्धि के लिए गया में पिंडदान किया जाता है, ताकि वे जन्म-मरण के फंदे से छूट जाएं। यहां हर वर्ष अगस्त व सितंबर में लाखों लोग देश-विदेश के विभिन्न कोने से आते हैं और अपने घर के सदस्य की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान...

पितृपक्ष मेले के दौरान पिंडदान करने वालों द्वारा उड़ाए गए सत्तू से पूरा प्रेतशिला सफेद हो जाता है। मेले के समय यहां खासी चहल-पहल होती है। पंडा का कहना है कि ऐसा करने से अकाल मृत्यु की शिकार हुई प्रेत आत्माओं को प्रेत योनि से मुक्ति मिलती है। प्रेतशिला पर्वत के ऊपर भगवान ब्रह्मा का मंदिर है। उस मंदिर में ब्रह्मा के बाएं पैर का चरण चिह्न है। वहीं सिर के बाल के समान तीन लकीरें हैं। यहां के ब्राह्मणों का कहना है कि यह पर्वत सोने का था, लेकिन शाप की वजह से सब नष्ट हो गया। अब तीन लकीरें ही बची है। पर्वत पर बनी उन्हीं तीनों लकीरों को सत्व, रज और तम के तीन गुणों का प्रतीक मान कर पिंडदान किया जाता है और सत्तू भेंट किया जाता है। फिर उसे पर्वत पर उड़ाया जाता...

पिंडदान कराने वाले रवि पांडे का कहना है कि प्रेतशिला की खूबियों का बखान वायु पुराण में है। इसके अलावा गरुड़ पुराण, गया पुराण में भी इसका विस्तार से उल्लेख है। यहां क्यों पिंडदान किया जाता है, यहीं क्यों और इससे क्या होता है? इस बाबत पूरा उल्लेख उपरोक्त सभी पुराणों में है। इन्होंने बताया कि यहां शोकाकुल परिवार अपने पूर्वजों की प्रिय चीजें या फिर उनकी फोटो छोड़ जाते हैं। वह पर्वत पर कहीं न कहीं महीनों या फिर वर्षों पड़ी रहती हैं। बाद में वह नष्ट हो जाती हैं।इस पर्वत की ऊंचाई करीब 1000 फीट है। इस...

 

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ये भास्कर ही है या कोई और ?

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Is par kuch prakash maha gyani ji..

Eid wale din aap ki manavta kaha chali jati hai

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