बृजेश सिंह बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होनहार था. 1984 में इंटर की परीक्षा में उसने बहुत अच्छे अंक हासिल किए थे. उसके बाद बृजेश ने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढाई की. वहां भी उनका नाम होनहार छात्रों की श्रेणी में आता था.बृजेश का अपने पिता रविंद्र सिंह से काफी लगाव था. पिता चाहते थे कि बृजेश पढ़ लिखकर अच्छा इंसान बने. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा गांव में बृजेश के पिता रविन्द्र सिंह की हत्या कर दी गई.
बृजेश सिंह को जब अपनी ताकत अहसास हुआ तो उसने ठेकेदारी और रंगदारी जैसे काम शुरु कर दिए. इसी दौरान उसकी दुश्मनी बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी से हो गई. जो बृजेश को काफी महंगी भी पड़ी. उसे मुख्तार की ताकत का अंदाजा नहीं था. इस गैंगवार में उसके भाई का मर्डर भी हुआ था. बृजेश ने पश्चिम बंगाल, मुंबई, बिहार, और उड़ीसा में भी अपना नेटवर्क बना लिया था. वो अंडरग्राउंड रहते हुए भी एक्टिव था.
उसी दौर में मकनू सिंह और साधू सिंह का गैंग तेजी से उभर रहा था. अक्टूबर 1988 में साधू सिंह ने कांस्टेबल राजेंद्र को मौत की नींद सुला दिया, जो बृजेश सिंह के साथी त्रिभुवन सिंह का भाई था. हेड कांस्टेबल राजेंद्र सिंह की हत्या के मामले में कैंट थाने पर साधू सिंह के अलावा मुख़्तार अंसारी और गाजीपुर निवासी भीम सिंह को भी नामजद किया गया था.
त्रिभुवन के भाई की हत्या का बदला लेने के लिए बृजेश सिंह और त्रिभुवन सिंह ने पुलिस की वर्दी पहनकर गाजीपुर के एक अस्पताल में इलाज करा रहे साधू सिंह को गोलियों से छलनी कर दिया था. फिर इसी तरह से बृजेश सिंह ने मुंबई के जेजे अस्पताल में घुसकर गावली गिरोह के शार्प शूटर हलधंकर समेत चार पुलिस वालों की हत्या कर दी थी.साधू सिंह की हत्या के बाद उसके गैंग की कमांड सीधे मुख्तार अंसारी के पास चली गई थी. वो पहले ही बृजेश के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहे थे.
itsparvezsagar और ये योगी सरकार आये दिन जो बुलडोज़र वाली सरकार बन कर माफिया के खिलाफ कार्यवाही के दावे करती है, दरसल वो इसके प्रतिद्वंद्वी मुख्तार और दूसरों को रास्ते से हटाने का काम कर रही है। वरना क्यों आज तक इसकी कोई संपत्ति कुर्क नही हुई। उल्टा MLC बना दिया दाऊद के चेले को देशभक्त पार्टी ने
itsparvezsagar ये दुर्भाय है इस देश का कि ये 2 कोड़ी का देशद्रोही आदमी सियासत चला रहा है उत्तर प्रदेश की। सिर्फ मुख्यमंत्री का सजातीय होने की वजह से, केंद्र के कुछ राजनीतिक आकाओं का हाथ सर पर होने और अपनी बेशुमार काली कमाई की बदौलत किसी की औकात नही है कि उंगली भी उठा सके इस ग़द्दार पे।
itsparvezsagar आज थोड़ी इज़्ज़त तो बड़ गयी आजतक वालों के लिए ये सोच कर कि चलिए नाम लेने की हिम्मत तो हुई कम से कम। अब भले ही ये बात लिखने की हिम्मत नही हुई कि देश के सबसे बड़े दुश्मन दाऊद इब्राहिम के जीजा की हत्या का बदला लेने के लिए शूटर बन कर गवली गिरोह के लोगों की हत्या की थी।
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