बलिया के प्रख्यात इतिहासकार ने कहा कि उन्होंने दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखी. पहली पुस्तक कामाश्रम के तीन संस्करण छपे, जिसकी पच्चीस हजार से अधिक प्रतियां बिकी, भृगुक्षेत्र महात्म्य, वसुधैव कुटुम्बकम की अप्रत्याशित बिक्री ने मुझे ख्याति के साथ आर्थिक सहयोग भी दिया. यूपी सरकार के राज्य अभिलेखागार की क्षेत्रीय ईकाई वाराणसी ने कौशिकेय की पुस्तक 1942 की अगस्त क्रांति और बलिया को अभिलेख के रूप में छापा. बलिया के अमर शहीद मंगल पाण्डेय का प्रामाणिक इतिहास ‘क्रांति का प्रथम नायक मंगल पाण्डेय’ छपा था.
तब से मैंने बलिया जिले के पौराणिक ऐतिहासिक, पुरातात्विक, सांस्कृतिक धरोहरों और इतिहास पर शोध कार्य शुरू किया जो अब तक जारी है. कौशिकेय बताते हैं कि उनका जन्म बलिया शहर में ही हुआ. बचपन से स्वभाव का अल्हड़ था. मैंने इतिहास पुरातत्व से पीएचडी की. इण्टरमीडिएट तक गृह जनपद में पढ़ाई के बाद आरएसएस का प्रचारक भी बना लेकिन, कहीं मन रमा नहीं. इतिहासकार डाॅ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय लोकल 18 को बताया कि वर्तमान समय में डॉ. ‘पुरावशेषों में राम’ और स्वराज के पुरोधा पर कार्य कर रहे हैं.
कण-कण में इतिहास बलिया पर ही दर्जनों किताबें छापी है डॉ. शिवकुमार सिंह कौशिकेय बलिया का इतिहास बलिया की बात यूपी का बलिया Famous Historian Of Ballia Dr. Shivkumar Singh Kaushikeya History In Every Detail Has Published Dozens Of Books On Ballia Itself Dr. Shivkumar Singh Kaushikeya History Of Ballia Ballia Ki Baat Ballia Of UP.
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