मिशन मून: Chandrayaan-2 के लिए 15 मिनट हैं सबसे मुश्किल, जानें क्या होगा?– News18 हिंदी

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मिशन मून: Chandrayaan-2 के लिए 15 मिनट हैं सबसे मुश्किल, जानें क्या होगा?

GSLV मार्क III-M1 से लॉन्च होगा चंद्रयान-2>>ISRO ने चंद्रयान-2 की यात्रा के 6 दिन कम कर दिए हैं. इसे 54 दिन से घटाकर 48 दिन कर दिया गया है. देरी के बाद भी चंद्रयान-2 6 सितंबर को चांद के साउथ पोल पर लैंड करेगा.

>>ISRO ने चंद्रयान-2 के लिए पृथ्वी के चारों तरफ अंडाकार चक्कर में बदलाव किया है, एपोजी में 60.4 किमी का अंतर आ गया है.>>वहीं, चंद्रयान-2 की वेलोसिटी में 1.12 मीटर प्रति सेकंड का इजाफा किया गया है.धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है. लॉन्चिंग के बाद चंद्रमा के लिए लंबी यात्रा शुरू होगी. चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे. चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर 'विक्रम' उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा.

चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा. इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है. ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा तैयार करेगा, ताकि चांद के अस्तित्व और विकास का पता लगाया जा सके. वहीं, लैंडर और रोवर चांद पर एक दिन काम करेंगे. लैंडर यह जांचेगा कि चांद पर भूकंप आते हैं या नहीं. जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा.- इसमें 13 भारतीय पेलोड में 8 ऑर्बिटर, 3 लैंडर और 2 रोवर होंगे. इसके अलावा NASA का एक पैसिव एक्सपेरिमेंट होगा.

- भारत चंद्रमा के धुर दक्षिणी हिस्से पर पहुंचने जा रहा है, जहां पहुंचने की कोशिश आज तक कभी किसी देश ने नहीं की.

 

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चंद्रयान 1 कब लांच हो गया पता ही नहीं चला।

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