मनमोहन सिंह ने उठाए थे 'भारतीय बाजार' के शटर, तीन दशक में देश की बदलती तस्वीर!

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भारत के इतिहास में मनमोहन सिंह के पहले बजट को अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजर बजट माना जाता है ManmohanSingh Budget IndianEconomy

पिछले 30 वर्षों में भारतीय इकोनॉमी को इसी राह पर मजबूत कामयाबी मिली है, और अब 5 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की बात होने लगी है. अब आइए जानते हैं, पिछले तीन दशक में उदारीकरण के मोर्चे पर देश कहां खड़ा है. आज भारतीय खजाना विदेशी मुद्रा भंडार से भरा हुआ है. तीन जुलाई, 2021 तक विदेशी मुद्रा भंडार 611 अरब डॉलर तक पहुंच गया. लेकिन 30 से पहले 1991 में जब मनमोहन सिंह वित्तमंत्री बने थे, तब भारत का विदेशी मुद्रा भंडार केवल 5.80 अरब डॉलर का था. जिससे सिर्फ दो हफ्तों तक ही आयात किया जा सकता था.

पिछले 30 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय में करीब साढ़े 22 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी. प्रति व्यक्ति आय किसी देश, राज्य, नगर या अन्य क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों की औसत आय होती है. उदारीकरण की पहल को शेयर बाजार ने भी सलाम किया है. उदारीकरण से पहले 25 जुलाई 1990 को सेंसेक्स महज 1000 अंक का था, जिसे साल 1991 में मनमोहन सिंह की वित्त-नीति से पंख लग गए. दिसंबर-1991 में सेंसेक्स 1908 अंक तक पहुंच गया. इस तरह से साल 1991 में सेंसेक्स कुल 881 अंक बढ़ा था. आज सेंसेक्स 53000 के आसपास है.

 

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Only scams and money making machine for Ghandi family

Lekin andh bhàkt to kahte hai 70 saal me kuchh nahi hua jo Vikas hua 2014 ke baad hua

Rt

और मोदीजी ने देश की अर्थव्यवस्था को फिर से 1990 के पहले की स्थिति में ला दिया है।

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