जब भी अमेरिकी लोग अपने राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं, दुनिया भर की नज़रें उस चुनाव पर टिकी होती हैं.इसलिए गुरुवार को जब जो बाइडन और डोनाल्ड ट्रंप के बीच राष्ट्रपति चुनाव को लेकर पहली बहस हुई तब निश्चित तौर पर उसमें दुनिया भर में अमेरिकी प्रभाव की भूमिका देखने को मिली.बीबीसी के विदेश मामलों के आठ संवाददाताओं ने जो बाइडन बनाम डोनाल्ड ट्रंप के बीच होने वाले इस चुनाव को लेकर दुनिया भर में देखी जा रही हलचलों को आंकने की कोशिश की है.
अगर कोई भी व्यक्ति खुद बतौर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरह सोचे कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी पर किसे देखना चाहेगा? साल 2016 में एक रूसी अधिकारी ने बीबीसी रूसी सेवा के संपादक स्टीव रोज़नबर्ग के सामने यह कु़बूल किया था कि उन्होंने ट्रंप की जीत का जश्न सिगार और शैंपेन की एक बोतल के साथ मनाया था.
उन्होंने ज़्यादा पैसे वसूलने के लिए दक्षिण कोरिया से अमेरिकी सैनिकों को हटाने की धमकी दी थी. बाइडन और ट्रंप के बीच सबसे बड़ा अंतर ताइवान को लेकर है. यूक्रेनी यह जानते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के दौरान यूक्रेन को लेकर किस तरह की बातें हो रही हैं. इसलिए यूक्रेन के लिए तो इस चुनाव में दांव पर बहुत कुछ लगा है. लेकिन यूक्रेन की भूमिका इस चुनाव में केवल एक दर्शक जितनी ही है. हालांकि यूक्रेनी लोगों ने अनिश्चित नतीजों के साथ जीना सीख भी लिया है.उत्तर कोरिया सरहद पर क्या बनवा रहा है, सैटलाइट तस्वीरों से सामने आई सच्चाईब्रिटिश सरकार अमेरिकी चुनाव को कुछ आशंकाओं के साथ देख रही है. एक हद तक ब्रिटेन में अमेरिका के उन संभावित फै़सलों को लेकर लेकर घबराहट है जिनका असर ब्रिटेन पर देखने को मिलेगा.
ब्रिटेन में यह डर है कि 5 नवंबर को करीबी चुनाव परिणाम आ सकते हैं जिसे कई अमेरिकी मतदाता वैध नहीं मानेंगे, ऐसी सूरत में जनवरी 2021 में वाशिंगटन पर हमले से भी बदतर राजनीतिक हिंसा देखने को मिल सकती है. क्या उन्हें किसी बड़े मुद्दे पर अमेरिका और यूरोप के बीच चुनाव करना होगा? सबसे बढ़कर, अमेरिकी चुनाव ने तेजी से अनिश्चित होती दुनिया में ब्रिटेन के लिए और भी अनिश्चितता पैदा कर दी है.पुतिन और किम जोंग उन की 'दोस्ती' चीन क्यों हद में रखना चाहेगाट्रंप को मिल रहा है यहूदियों का भरपूर साथअमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव का बड़ा असर मध्य पूर्व में होना तय है, लिहाजा इस इलाके में दोनों उम्मीदवारों को काफी क़रीब से देखा जा रहा है.
ट्रंप ने एलान किया है कि वे राष्ट्रपति चुने जाने के बाद फ़लस्तीनी को दी जाने वाली अमेरिकी मदद बंद कर देंगे. शीनबाम के पास बाइडन या ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में के दौरान, अमेरिका के साथ संबंधों पर पिछली सरकारों से अलग हटकर सोचने का विकल्प है.
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