नवनीत गुर्जर का कॉलम: किसान खुश, देश खुश! किसानों को नाराज करके कुछ भी सकारात्मक हासिल नहीं किया जा सकता

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नवनीत गुर्जर का कॉलम: किसान खुश, देश खुश! किसानों को नाराज करके कुछ भी सकारात्मक हासिल नहीं किया जा सकता Navneet88727599 columnist

नवनीत गुर्जर का कॉलम:कॉपी लिंकअनेक प्राकृतिक और मानव जनित आपदाओं के बावजूद सामान्य जन की जिजीविषा का अंत:स्रोत रीता नहीं हुआ। उसने तमाम हादसों, सदमों, विश्वासघातों, प्रतिकूलताओं, असफलताओं और कई अकल्पित घटनाओं से उपजा हलाहल पचाने की क्षमता दिखाई। यही इस राष्ट्र-राज्य की जीवन शक्ति है।

एक जमाना था- 1984 से 1994 के बीच का, जिसमें कोरोना जैसी कोई महामारी न होते हुए भी राष्ट्र-जीवन अकल्पनीय, अविश्वसनीय, और अनिश्चित हो गया था। कहना कठिन था कि बीसवीं सदी के अवसान काल में जारी रहे उस बिलौने से अमृत अधिक निकला था या विष! यह भी कहना मुश्किल ही है कि उस दौर को किसी संग्राम का अंत कहा जाए या आरंभ! समाज-जीवन का हर अंग इसी आलोडन-विलोडन से थरथरा रहा था। अर्थ-व्यवस्था भूमंडलीकरण के भंवर में हिचकोले खा रही थी। समृद्धि, सुख-चैन, गरीब के गांव से काफी दूर चले गए...

बाजारीकरण, उद्योग-व्यवसाय का ही नहीं, अपितु कला, मनोरंजन, मनोविनोद और साहित्य जैसे जीवन के कोमल-सुंदर पहलुओं का भी मूलमंत्र हो गया था। हम सब आज भी इसे भुगतने पर विवश हैं। उदारीकरण की सद्इच्छाओं को घोटालों की बुरी नजर लग गई थी। राजनीति के शिखर पुरुष, लोगों के दिलों की बजाय सत्ता के दलालों की काली और वकीलों की लाल डायरियों में जगह बनाने लगे थे। कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा जोड़कर सत्ता के प्रासाद खड़े किए गए और बहुमत की नई परिभाषाएं गढ़ी गईं थीं। विडंबना यह भी थी कि उन दस सालों में पांच...

बहरहाल, वह दौर इसलिए याद किया गया क्योंकि कोरोना महामारी के बावजूद इस बार विकास दर 8.

सरकार ने बिल वापस क्यों लिए, या ऐसा क्यों करना पड़ा, इस पचड़े में पड़ना अब बेमानी है। सरकार ने अगर किसानों को खुशखबर दी है तो उन्हीं के भाग्य से विकास दर भी इतनी बढ़ी है जितनी कम से कम इस दौर में तो किसी ने सोची तक नहीं थी। इस पूरे मामले से यह सबक तो आने वाली सभी सरकारों को मिलेगा ही कि किसानों को नाराज करके कुछ भी सकारात्मक हासिल नहीं किया जा सकता। कृषि प्रधान इस देश में किसानों की सत्ता कायम हो जाए, उनकी हर खुशी का ख्याल आगे भी रखा जाए तो इससे बड़ी कोई बात हो ही नहीं सकती। आखिर इस देश की धुरी...

 

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Navneet88727599 बहुत ही शानदार लेख

Navneet88727599 बहुत खुश हैं, खुशी झलक रही है

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