की जिम्मेदारी केवल एक एलोपैथ के डॉक्टर के कंधों पर है। उत्तर भारत में सबसे बुरे हालात हरियाणा में हैं। यहां एक एलोपैथी डॉक्टर पर 6,287 लोगों की जिम्मेदारी है। जबकि उत्तर प्रदेश में 3,692, उत्तराखंड में 1,631, पंजाब में 778, हिमाचल प्रदेश में 3,015, जम्मू कश्मीर में 1,143 और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 1,252 लोगों के लिए एक एलोपैथी डॉक्टर पंजीकृत हैं।
आयुष चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों को इनके साथ जोड़ दें तो हरियाणा में 1,812 लोगों की आबादी पर मात्र एक डॉक्टर तैनात है, जो कि उत्तर भारत के बाकी राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार एक हजार आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए। सरकार ने एलोपैथी और आयुष डॉक्टरों का अनुपात अलग-अलग बताया है। इनका मानना है कि अगर दोनों चिकित्सा पद्धति के डॉक्टरों को मिला दिया जाए तो डॉक्टरों की संख्या पर्याप्त मिल रही...
मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश में 11.59 लाख एलोपैथी के डॉक्टर पंजीकृत हैं लेकिन इनमें से 9.27 लाख डॉक्टर ही हर दिन अस्पताल या क्लीनिक में मरीज का उपचार कर रहे हैं। चूंकि देश की आबादी 1.35 बिलियन है, इस हिसाब से देश में 1,445 लोगों की आबादी पर एक एलोपैथी डॉक्टर मौजूद है। जबकि देश में मौजूदा 6.30 लाख आयुष डॉक्टरों को भी एलोपैथी के साथ जोड़कर चलें तो भारत में 867 लोगों पर एक डॉक्टर तैनात है। हालांकि मंत्रालय का ये भी मानना है कि देश में मरीजों की तादाद हर साल बढ़ रही है। ऐसे में सभी चिकित्सा पद्धतियों के तहत आने वाले डॉक्टरों की संख्या बढ़ाना बेहद आवश्यक है।
मंत्रालय ने बताया कि डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए एमबीबीएस कोर्स की सीटों में 150 से 250 तक की वृद्घि, नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए नियमों में सरलता, जिला अस्पतालों को मेडिकल कॉलेज में अपग्रेड करना इत्यादि पर काम कर रही है। विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के लिए केंद्र की ओर से राज्य सरकारों की मदद की जा रही है।डॉक्टर-मरीज के बीच अनुपात को लेकर अगर पूरे देश की स्थिति पर गौर करें तो सबसे बुरे हालात मिजोरम और नागालैंड में देखने को मिल रहे हैं। यहां क्रमश: 20,343 और 23,396 की आबादी पर एक...
drharshvardhan MoHFW_INDIA PMOIndia cmohry हमारे देश में पहले डॉक्टर भगवान के समान होते थे लेकिन कुछ सालों से हस्पताल तो बहुत खुल गए लेकिन उनमें वे कोई भगवान नहीं रहा! पता नहीं नए कल्चर में डॉक्टरों की पढ़ाई भी सिर्फ पैसा कमाने तक सीमित हो गयी है जो निर्दयता से लोगों को लूट रहें हैं, काश! वही पुराने भगवान वापिस आ पाते।
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