Mullah Baradar Hibatullah Akhundzada | Where Is Taliban Leaders Mullah Baradar And Hibatullah Akhundzada; Rumors Of Baradar And Akhundzada Death Returns Againदुनिया के सामने क्यों नहीं आ रहे मुल्ला बरादर और सुप्रीम लीडर अखुंदजादा; तालिबान प्रवक्ता भी सवालों से बचने लगेतालिबान ने 15 अगस्त को काबुल पर कब्जे के साथ ही हुकूमत कायम कर ली। एक हफ्ते पहले सरकार का भी ऐलान कर दिया। इसका शपथ ग्रहण समारोह होगा या नहीं होगा, कब और कैसे होगा? ऐसे तमाम सवाल लोगों के जेहन में हैं। इससे भी बड़ा सवाल ये है कि...
हिब्तुल्लाह अखुंदजादा को सुप्रीम लीडर घोषित किया गया था और मुल्ला अब्दुल गनी बरादर को डिप्टी प्राइम मिनिस्टर। ये दोनों ही अब तक कहीं नजर नहीं आए हैं। बरादर ने दो दिन पहले 39 सेकंड के एक कथित ऑडियो टेप के जरिए खुद के सेहतमंद होने का दवा किया। अब इस टेप पर भी सवालिया निशान लगने लगे हैं।CNN ने तालिबान के अंदर जारी उठापटक को लेकर रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके मुताबिक- आमतौर पर किसी भी देश में सरकार के ऐलान के साथ ही नेता दुनिया के सामने आते हैं। मीडिया से बातचीत करते हैं, लेकिन अफगानिस्तान में ऐसा...
अखुंदजादा 2016 में तालिबान का सरगना बना था। 5 साल में उसका कोई बयान किसी भी रूप में सामने नहीं आया। पिछले साल खबर आई थी कि अखुंदजादा काफी बीमार था और उसकी मौत पेशावर में हुई।अमेरिका और तालिबान के बीच समझौता कतर की राजधानी दोहा में हुआ था। मुल्ला बरादर तालिबान के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहा था। माना जा रहा था कि वो ही प्रधानमंत्री बनेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हसन अखुंद को PM बना दिया गया।
अब सबसे बड़ा सवाल। तालिबान पर सबसे ज्यादा असर-ओ-रसूख, यानी प्रभाव इस वक्त कतर का है। उसके विदेश मंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल रहमान अल थानी रविवार को काबुल पहुंचे। तालिबान दावा करता है कि उन्होंने हिब्तुल्लाह अखुंदजादा से कंधार में मुलाकात की, लेकिन इसकी कोई तस्वीर सामने नहीं आई। बाकी सब तो छोड़िए तालिबान प्रवक्ता ने इस मुलाकात की पुष्टि तक नहीं की, जबकि कतर ने यात्रा की आधिकारिक जानकारी दी थी।तालिबान पर करीबी नजर रखने वाले पाकिस्तानी जर्नलिस्ट आजाद सैयद कहते हैं- ज्यादातर तालिबानी नेता और खासकर...
वैसे, तालिबान चीजों को छिपाने में माहिर है। उसके पहले नेता और संस्थापक मुल्ला उमर को अमेरिका ने 2013 की शुरुआत में ही मार गिराया था। तालिबान ने साल के बिल्कुल आखिर में इसकी जानकारी दी। दरअसल, तालिबान लीडरशिप को लगता है कि नेताओं की मौत की खबर से संगठन टूट सकता है और उनके आतंकी दूसरे गुटों में शामिल हो सकते हैं। हक्कानी नेटवर्क के नेताओं पर तो 5 से 10 लाख मिलियन डॉलर तक के इनाम घोषित हैं।
आदरनिये भास्कर जी ,,,,, दिल्ली के 6 आतंकवादी की गिरफ्तारी की कोई खबर नहीं , आपके पहले दुसरे पेज पर , कोई रिश्तेदार थे क्या ? haryana
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