जानें ‘अबाइड विद मी’ के गीतकार की कहानी, गणतंत्र दिवस के रिट्रीट समारोह में बजती है यह धुन

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जानें ‘अबाइड विद मी’ के गीतकार की कहानी, गणतंत्र दिवस के रिट्रीट समारोह में बजती है यह धुन AbideWithMe DeepaliiAgrawal BeatingRetreat RepublicDayIndia

गणतंत्र दिवस समारोह के समापन को ‘बीटिंग द रिट्रीट’ कहा जाता है। इसे 29 जनवरी की शाम को आयोजित किया जाता है। यह न सिर्फ गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक है बल्कि सेना को वापस बैरक में भेजने का आधिकारिक संदेश भी होता है। इस समारोह में देश की तीनों सेनाएं हिस्सा लेती हैं और पारंपरिक धुनों के साथ मार्चपास्ट करती हैं। यह सभी धुन सेनाओं के बैंड द्वारा बजायी जाती है और ‘अबाइड विद मी’ भी इसमें शामिल है।अबाइड विद मी एक ईसाई भजन है जो राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को काफी पसंद था। गणतंत्र दिवस से कुछ...

थॉमस और एना की दूसरी संतान हैनरी को अपने माता-पिता का सुख नहीं मिला। पिता घर की जिम्मेदारियों को छोड़कर चले गए और मां का देहांत हो गया। 9 साल के अनाथ हैनरी को हेडमास्टर रोबर्ट बुरोज़ ने गोद लिया और उनकी पढ़ाई की ज़िम्मेदारी उठाई। बहुत ही कम उम्र में उनके पेशे का चुनाव दूसरों से अलग दिखाई देने लगा। वह कुछ अलग करना चाहते थे। इसी दौरान 1816 में उन्हें ईसाई धर्म प्रचारकों से संवाद का अनुभव हुआ जिसके बाद उन्हें लगा कि संत पॉल के काव्य-पत्रों को ठीक से नहीं समझा गया...

इसके बाद लाइट ने बाइबिल को पढ़ा और उसका उपदेश देना शुरू कर दिया। वह उन स्थानीय पादरियों का अनुसरण करने लगे जिनके काव्य को वह कभी उपहास का पात्र समझते थे। 1817 में हैनरी, कोर्नवेल के मैराज़ियोन में उपपादरी नियुक्त हो गए। इसके बाद से भजन लिखने का क्रम भी शुरु हुआ।हैनरी ने अपनी पहली रचना लिमिंग्टन शहर में 1826 में लिखी। उनके लिखे तमाम भजनों में से ‘अबाइड विद मी’ सबसे अधिक लोकप्रिय हुआ। इस भजन को 1847 के जुलाई या अगस्त महीने में लिखा गया था और सितंबर में हैनरी ने अपनी आख़िरी सेवा चर्च को दी थी।...

19वीं सदी के कवि अल्फ़्रेड लॉर्ड टेनिसन ने धुन की प्रशंसा करते हुए इसे अंग्रेज़ी भाषा की बेहतरीन कविताओं में से एक माना है।The darkness deepens; Lord, with me abide;Swift to its close ebbs out life’s little day;O Thou who changest not, abide with me.

 

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