जानना जरूरी है: 1971 तक अफगानिस्तान में 14 महिलाएं जज थीं, पर 1998 में घरों में लॉक कर के खिड़कियां तक बंद कर देते थे ताकि कोई मर्द उन्हें देख न ले

  • 📰 Dainik Bhaskar
  • ⏱ Reading Time:
  • 99 sec. here
  • 3 min. at publisher
  • 📊 Quality Score:
  • News: 43%
  • Publisher: 51%

इंडिया मुख्य बातें समाचार

इंडिया ताज़ा खबर,इंडिया मुख्य बातें

जानना जरूरी है: 1971 तक अफगानिस्तान में 14 महिलाएं जज थीं, पर 1998 में घरों में लॉक कर के खिड़कियां तक बंद कर देते थे ताकि कोई मर्द उन्हें देख न ले Afghanistan

1971 तक अफगानिस्तान में 14 महिलाएं जज थीं, पर 1998 में घरों में लॉक कर के खिड़कियां तक बंद कर देते थे ताकि कोई मर्द उन्हें देख न लेएक तरफ अफगानिस्तान में तालिबानी हुकूमत काबिज हुई और दूसरी तरफ पूरी दुनिया ने कहा- अब अफगानी महिलाओं क्या होगा? जहां कभी महिलाएं स्कर्ट पहनती थीं, वो आज मोटे कपड़ों के बने बुर्कों से अपना शरीर छिपाने को मजबूर हैं। आखिर अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ ऐसा क्या हुआ है? हम सबूत समेत यहां अफगान महिलाओं की पूरी कहानी कह रहे हैं। स्टोरी के कवर में सबसे ऊपर इसका पूरा वीडियो...

ये 1971 के शुरुआती महीने की तस्वीर है। अफगान महिलाएं पब्लिक ट्रांसपोर्ट से यात्रा के लिए इस तरह निकलती थीं।यूके का एक NGO है- एमनेस्टी इंटरनेशनल, दुनियाभर में ह्यूमन राइट्स से जुड़े डेटा इकट्ठा करता है। इसकी रिपोर्ट्स का दावा है कि 1919 में अफगान महिलाओं को वोट देने का अधिकार था। 1923 में औरतों को अपनी पसंद से शादी करने के कानूनी अधिकार मिल गए थे। 1928 में अफगानी महिलाओं का एक ग्रुप तुर्की में स्कूल अटैंड करने गया था। 1940 से 1950 के बीच अफगान महिलाएं नर्स, डॉक्टर और टीचर्स बनने लगीं। साल 1959...

जैसे ही लड़की को एहसास हुआ कि कोई उसकी फोटो खींच रहा है, उसने झट से अपना चेहरा छिपा लिया था। भले ये तस्वीर आज अफगान महिलाओं के विरोध का एक प्रतीक बन गया हो, लेकिन असल में शरबत कोई विरोध नहीं कर रही थीं। बल्कि उनकी असल जिंदगी इतनी दर्दनाक थी कि उन्होंने जब अचानक सिर घुमाया था तब भी उनकी आंखों से दर्द-गुस्सा एक साथ झलक रहा था। इसमें चौंकाने वाली बात ये है कि मैकरी ने उन्हें 17 साल बाद फिर ढूंढ निकाला था। वो तस्वीर कहानी के पांचवें हिस्से में लगी हुई...

किसी मर्द डॉक्टर्स से चेकअप नहीं करा सकतीं। तालिबान शासन के दौरान घर से बाहर निकली एक महिला। मर्द साथ लेना जरूरी थी, इसलिए लड़के को साथ लिया है।जब कोई महिला काम ही नहीं कर सकती तो महिला डॉक्टर बनेगी नहीं, और पुरुषों से महिलाएं चेकअप नहीं करा सकतीं, ऐसे में महिलाओं को डॉक्टरी सुविधा ही नहीं मिली।किसी खेल में हिस्सा लेना तो दूर स्टेडियम जाकर कोई खेल देख भी नहीं सकतीं। अगर बिना मर्द लिए घर से बाहर आ गईं तो तालिबानी समर्थक या तालिबानी सेना के लोग महिलाओं को सरेआम पीटने लगते थे।अपने घर के...

अमेरिकी सेना के शासनकाल के बारे में यूनिसेफ और ह्यूमन राइट्स के कुछ डेटा हम बारी-बारी से रख रहे हैं, उन्हें देखिए- ग्लोबल राइट्स की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान की 87% महिलाएं किसी न किसी रूप में पुरुषों के शोषण की शिकार हैं। चाहे वो शारीरिक शोषण हो, सबके सामने हिंसा करना हो, पैसे को लेकर बेइज्जत करना हो, मानसिक रूप से प्रताड़ित करना हो या फिर उनके ऊपर सेक्स के लिए हिंसा करना हो। इस तरह के मामलों को जब जोड़ते हैं तो पाते हैं कि हर 100 अफगान महिलाओं में से 87 महिलाएं सताई हुई होती हैं।

 

आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। आपकी टिप्पणी समीक्षा के बाद प्रकाशित की जाएगी।

Radical Hindutva Media Never Concern Much Horrible Terrible Frivolous Status of Women in India But Blindly Following Radical Western Media

तू अपने पेरहन को पहले रफू कर....

भारत में भी ऐसा ही था, लेकिन डाक्टर अंबेडकर के हिंदू कोड बिल ने सभी महिलाओं को अधिकार दिए जिसका सबसे ज्यादा विरोध हिंदुत्व और हिंदूवादी लोगो ने किया।

हमने इस समाचार को संक्षेप में प्रस्तुत किया है ताकि आप इसे तुरंत पढ़ सकें। यदि आप समाचार में रुचि रखते हैं, तो आप पूरा पाठ यहां पढ़ सकते हैं। और पढो:

 /  🏆 19. in İN

इंडिया ताज़ा खबर, इंडिया मुख्य बातें

Similar News:आप इससे मिलती-जुलती खबरें भी पढ़ सकते हैं जिन्हें हमने अन्य समाचार स्रोतों से एकत्र किया है।

अफगानिस्तान: पाकिस्तान के बाद रूस और चीन भी तालिबान के समर्थन मेंअफगानिस्तान तख्तापलट: पाकिस्तान के बाद रूस और चीन भी तालिबान के समर्थन में Afghanistan Taliban Kabul Pakistan Russia China This is new war. These three defeated US and got supportive control in afg. भारत को ऐसे किसी सरकार को मान्यता देने के लिए कोई हड़बड़ी नहीं होनी चाहिए जिसके भविष्य के व्यवहार पर कोई भी प्रश्न चिन्ह हो.पड़ोसी देश है, पड़ोसी ही रहेंगे.
स्रोत: Amar Ujala - 🏆 12. / 51 और पढो »

अफगानिस्तान में फंसे हैं 1650 भारतीय, रेस्क्यू के लिए बड़े मिशन में जुटा भारतअभी तक भारतीय दूतावास के अधिकारियों, स्टाफ, सुरक्षाकर्मियों को वापस लाया गया है. अब अन्य भारतीयों को वापस लाने पर फोकस है, जानकारी के मुताबिक करीब 1650 भारतीयों ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास में मदद की गुहार लगाई है.
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

जलालाबाद में अफ़ग़ानिस्तान के झंडे के साथ रैली, 'तालिबान' ने चलाई गोलियाँ - BBC Hindiअफ़ग़ानिस्तान के जलालाबाद शहर में कुछ लोगों ने अफ़ग़ानिस्तान के झंडे के समर्थन में एक रैली निकाली जिसे लेकर हिंसा होने और हवा में गोलियाँ चलाए जाने की ख़बरें आ रही हैं. गोदी मीडिया अब भारत में भी अफवाह फैलाने में लग गई है क्योंकि यह सब फेक न्यूज़ है इसे कोई वास्ता नहीं है यह बीबीसी सिर्फ चाटुकारिता पत्रकारिता कर रही है सारे भाव से विरक्त.. प्रमाण में खुद से संलग्न.. ख्याति में .. खुद से प्रयत्न.. भेद में .. किसीसे नहीं संपर्क☄️ It's just a small incident under Sariya! A brief Press conference will take care, no need to worry
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »

दंगल: अफगानिस्तान में किया कब्जा, भारत में सामने आ रहे तालिबान के हमदर्द!तालिबान का अफगानिस्तान पर काबिज हो चुका है और यहां भारत में कुछ लोगों के जेहन में तालिबान को लेकर समर्थन दिखा है. समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य सज्जाद नोमानी के बयानों को लेकर हंगामा मचा हुआ है. शफीकुर्रहमान बर्क तालिबान लड़ाकों की करतूत की तुलना भारत में स्वाधीनता संग्राम की लड़ाई से कर रहे हैं और सज्जाद नोमानी तो तालिबान को सलाम ही भेज रहे हैं. शफीकुर्रहमान बर्क पर यूपी के सम्भल में FIR दर्ज हुई और इसके बाद उन्होंने सफाई देकर कहा है कि मेरे बयानों को सही तरीके से नहीं दिखाया गया है. लेकिन सवाल ये कि क्या उनके बयान को तालिबान का समर्थन नहीं कहेंगे? क्या ये तालिबानी सोच को बढ़ावा देना नहीं है? देखें दंगल का ये एपिसोड. chitraaum रात के अंधेरे में नौकरी मांग रही बेरोजगार बेटियों को मध्यप्रदेश में गिरफ्तार किया जा रहा है, क्या सड़कों पर बेटियों को बेज्जत कर बेटियों को पढ़ायेंगे और मेडल जिताएंगे मोदी chitraaum कांग्रेस की मेहरबानी है। रंगे सियार। chitraaum ये सभी उन्ही के हमदर्द है।। इनको भारत मे बहुत डर लगता है। क्योंकि इनको माहौल तालिबानियों जैसे चाहिए है। तो कौन सी देर हुई है सब फ्री है वहां पर राइटर, डायरेक्टर, एक्टर,एक्ट्रेस,विलेन सब है बढ़िया अपनई वही फ़िल्म बनाओ एन्जॉय करो अपनी ज़िंदगी बिना किसी डर के ।।
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे पर क्या सोचते हैं भारत के मुस्लिम नेता?अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है, लेकिन तालिबान के तेवर पिछली बार की तुलना में कुछ अलग हैं. अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी पर भारत के मुस्लिम नेताओं की राय बंटी हुई है. कुछ नेता जहां तालिबान के बदले हुए तेवरों से उम्मीद लगाए बैठे हैं तो कुछ का मानना है कि भारत को इस मुद्दे पर पूरी सतर्कता से आगे बढ़ना चाहिए. Muslim neta chutiye hai sale, khul k support karenge unka.....
स्रोत: AajTak - 🏆 5. / 63 और पढो »

अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान: पाकिस्तान में कहीं मिठाइयाँ बँटी, तो कहीं चिंता भी - BBC News हिंदीतालिबान के अफ़ग़ानिस्तान का नियंत्रण अपने हाथ में लेने के बाद पाकिस्तान में अलग-अलग तबके क्या सोच रहे हैं? Their supported team is power....what else such a country can do अगली मिठाई पाकिस्तान के आजाद होने की बस कुछ समय बाकी है चिंता की वजय ही नही चिंतन है भबिषय का वर्तमान में
स्रोत: BBC News Hindi - 🏆 18. / 51 और पढो »