5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के ऐलान के बाद से अब तक भारत प्रशासित पीर पंजाल में राजनीतिक गतिविधियां पूरी तरह शुरू नहीं हो पाई हैं. नेता आरोप लगाते हैं कि इसके लिए मौजूदा केंद्र सरकार ज़िम्मेदार है.
वो कहते हैं,"नरेंद्र मोदी की सरकार के आने से पहले हमें भारतीय होने पर गर्व था. हमने कभी भारत के ख़िलाफ़ उंगली तक नहीं उठाई. कश्मीर और जम्मू के पीर पंजाल में काफी फर्क है. जब इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी मेरे पास आए थे, मैंने उनसे कहा था कि हम सभी मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं. बीते साल 4 अगस्त के बाद से मैं खुद को भारतीय तो कहता हूं लेकिन अब मैं ये नहीं कह सकता कि मुझे खुद पर गर्व है."
वो कहते हैं कि 5 अगस्त के बाद से उन्होंने न तो किसी सार्वजनिक सभा में शिरकत की है और न ही किसी रैली में शरीक हुए हैं.पीर पंजाल इलाक़े में दो ज़िले आते हैं- पुंछ और राजौरी. जहां पुंछ में 90 फीसद आबादी मुसलमानों की है, वहीं राजौरी में कुल आबादी का क़रीब 60 फीसदी हिस्सा मुसलमानों का है. नेशनल कॉन्फ्रेस के जिलाध्यक्ष बाग़ हुसैन राठौर ने बीबीसी को बताया कि 5 अगस्त के बाद घाटी में राजनीतिक गतिविधियां एकदम ठप हैं.
रियाज़ नाज़ से हमने पूछा कि क्या ये माना जाए कि घाटी में लोगों की आवाज़ को पूरी तरह दबा दिया गया है, तो उन्होंने कहा,"एक तरह से कहा जाए तो यही हुआ है." अकेले राजौरी में बीते एक साल में दो स्थानीय मुसलमान नेताओं ने बीजेपी का दामन थामा है. ये दो नेता पूर्व सांसद चौधरी तालिब हुसैन और पूर्व नौकरशाह मोहम्मद इक़बाल मलिक हैं.
वो कहते हैं,"मोदी जी ने यह भी कहा है कि वो मदरसों के उत्थान का काम करेंगे और मदरसों के छात्रों को आधुनिक शिक्षा देंगे. इस आश्वासन ने मुझे बहुत प्रभावित किया. मुसलमानों की हमेशा से शिकायत रही है कि बीजेपी चुनाव में मुसलमानों को टिकट नहीं देती. मुझे बताएं कि जब मुसलमान बीजेपी से जुड़ेंगे नहीं, तो उन्हें चुनाव में टिकट कैसे मिलेगा. अगर मुझे चुनाव में टिकट नहीं दिया जाएगा तो मैं कह सकता हूं कि बीजेपी ने मुझे टिकट नहीं दिया.
वो कहती हैं कि बीजेपी में शामिल होने के फ़ैसले के लिए उन्हें भी समुदाय के विरोध का सामना करना पड़ा था.राजौरी में बीजेपी के दफ्तर में मेरी मुलाक़ात परवीन बानो से हुई.
हमेशा की तरह एकतरफा बीबीसी रिपोर्ट.. पिछले 50 सालों से कश्मीर बंदूक के साए में ही है, तब कैसे हो रही थी राजनीति? कम से कम आज बंदूके भारतीय सैनिक या पुलिस के हाथ में तो है कश्मीर के सामने आज सुधार के कई मौके है जरूरत है बस पुराने तरीके बदलने की
Jaise ki pure desh me ho rhi hai
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