लखनऊ. जबरन धर्म परिवर्तन केस के ट्रायल के दौरान शुक्रवार को आरोपियों के मुस्लिम वकीलों के कोर्ट छोड़कर नमाज पढ़ने जाने पर स्पेशल जज द्वारा एमिकस क्यूरी नियुक्त करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने नाराज़गी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि पसंद के धर्म के अधिवक्ता से वंचित करना स्पेशल जज का न्यायिक कदाचरण है. जिसके बाद हाईकोर्ट के तलब करने पर स्पेशल जज ने बिना शर्त माफी मांगी. स्पेशल जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी पर हाईकोर्ट ने सख़्त टिप्पणी की.
ये है पूरा मामला दरअसल, लखनऊ के विशेष जज विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने शुक्रवार को जुमे की नमाज पढ़ने के लिए कुछ मुस्लिम वकीलों के अदालती कार्यवाही छोड़ने के आचरण पर गंभीर चिंता जताई थी. अदालत ने कहा कि इन वकीलों को यह ध्यान रखना चाहिए कि काम ही पूजा है और उन्हें अपने न्यायिक कर्तव्यों का सम्मान करना चाहिए.
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Muslim Lawyers: मुस्लिम वकीलों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव का मामला, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जज को किया तलब, जानिए क्या कहा?Allahabad High Court: कोर्ट ने कहा, 'यह धर्म के आधार पर ट्रायल कोर्ट की ओर से स्पष्ट भेदभाव को दर्शाता है, जो भारत के संविधान के अनुच्छेद 15 में निहित मौलिक अधिकार का स्पष्ट उल्लंघन है।'
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