चौपालः पर्यावरण की फिक्र

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एक तरफ जहां घटती हरियाली के चलते पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है तो दूसरी तरफ सरकारें ही देश के विकास को रफ्तार देने या लंबे चौड़े एक्सप्रेस-वे बनवाने के नाम पर 50 से 100 सौ साल तक पुराने और विशालकाय हजारों-लाखों वृक्षों को काटने का फरमान जारी करने में विलंब नहीं करतीं।

जनसत्ता July 18, 2019 1:22 AM अगर देश के अत्यधिक प्रदूषित शहरों में वायु प्रदूषण पर नियंत्रण पाना है तो लोगों को निजी वाहनों का प्रयोग कम कर सार्वजनिक परिवहन को अपनाना चाहिए। बड़े पैमाने पर पौधारोपण को बढ़ावा देकर हरियाली बढ़ानी होगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित पंद्रह शहरों में से चौदह भारत के हैं, जिनमें दिल्ली पहले स्थान पर है। प्रदूषण से दिल्ली की हालत अक्सर गैस चैंबर के समान हो जाती है, जहां जब-तब जहरीली धुंध का गुबार देखने को मिलता है। इसके चलते स्वस्थ व्यक्ति...

चार धाम यात्रा को सुखद बनाने के लिए सड़कों के चौड़ीकरण के लिए करीब नौ सौ किलोमीटर के दायरे में वर्षों पुराने लाखों विशालकाय हरे-भरे वृक्ष काट डाले गए। यह सही है कि विकास को रफ्तार देने के लिए एक्सप्रेस-वे बनाना समय की मांग है, लेकिन क्या यह काम बेशकीमती वृक्षों का विनाश करके ही हो सकता है? हमें समझना होगा कि जैसे-जैसे सघन वनों का दायरा घटेगा देश में बाढ़, सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं का दायरा बढ़ता जाएगा। वृक्ष न केवल हमारे पर्यावरण के प्रहरी हैं बल्कि मिट्टी को रोक कर बाढ़ के खतरों से भी बचाते हैं।...

न्यूयॉर्क के पर्यावरण संरक्षण विभाग के अनुसार सौ विशाल वृक्ष प्रतिवर्ष तिरेपन टन कार्बन डाइऑक्साइड और दो सौ किलोग्राम अन्य वायु प्रदूषक दूर करते हैं और पांच लाख तीस हजार लीटर वर्षा जल को रोकने में मददगार साबित होते हैं। इसके मुताबिक घर में लगाए जाने वाली वृक्ष न केवल गर्मियों में एअरकंडिशनर की बिजली की खपत में 56 फीसद की कमी लाते हैं बल्कि सर्दियों में ठंडी हवाओं को भी रोकते हैं। भारतीय वन सर्वेक्षण के अनुसार देश में सघन वनों का क्षेत्रफल तेजी से घट रहा है। 1999 में सघन वन 11.

 

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