चीन के 93% हैकर ग्रुप्स को वहां की आर्मी फंडिंग करती है, चीन ने 7 साल पहले कहा था- साइबर स्पेस अब जंग का नया मैदान

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साइबर हमले, नई चुनौती / चीन के 93% हैकर ग्रुप्स को वहां की आर्मी फंडिंग करती है, चीन ने 7 साल पहले कहा था- साइबर स्पेस अब जंग का नया मैदान cybersecurity MEAIndia DrSJaishankar rajnathsingh GoI_MeitY rsprasad PMOIndia narendramodi

चीन की पीएलए के पास बकायदा एक हैकिंग यूनिट भी है, जिसे पीएलए यूनिट 61398 के नाम से जाना जाता है।पीएलए का मानना है, युद्ध में आर्मी पर खर्च की बजाय दुश्मन देश के खिलाफ साइबर वॉर छेड़ना ज्यादा फायदेमंद

साइबर वॉर को लेकर चीन का रवैया हमेशा आक्रामक रहा है। 2009 में अमेरिकी पॉलिसी थिंक टैंक RAND की एक स्टडी आई थी। इस स्टडी में चीन के एक डिफेंस एक्सपर्ट के हवाले से लिखा गया था कि 20वीं सदी में जैसे परमाणु युद्ध था, वैसे ही 21वीं सदी में साइबर युद्ध है। कहने का मतलब ये था कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए साइबर युद्ध अब बेहद जरूरी हो गया है।

इस युद्ध में अमेरिकी सेना ने तकनीक का सहारा लिया था। उस समय इसे साइबर वॉरफेयर नहीं, बल्कि इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर कहते थे। यानी तकनीक के जरिए दूसरे देश के इन्फॉर्मेशन सिस्टम में सेंध लगाना और उससे सारा डेटा निकालना। इस तकनीक से अमेरिका और उसके समर्थित देशों को काफी मदद मिली थी और आखिर में जीत भी इन्हीं की हुई।

2004 में इराक युद्ध के एक साल बाद चीन ने फिर गाइडलाइन में बदलाव किया और इस बार तय किया कि कैसे आर्म्ड फोर्सेस को युद्ध जिताने में सूचनाएं जरूरी फैक्टर साबित होती हैं। इतना ही नहीं, चीन की पीएलए के पास बकायदा एक हैकिंग यूनिट भी है, जिसे पीएलए यूनिट 61398 के नाम से जाना जाता है। इसका हेडक्वार्टर 12 मंजिला है, जो शंघाई के पुडोंग में है। पीएलए की इस यूनिट के हेडक्वार्टर के बारे में दुनिया को 2013 तक पता ही नहीं था। 2013 में अमेरिकी कम्प्यूटर सिक्योरिटी फर्म मैनडिएंट ने इसकी बिल्डिंग के बारे में और इसके काम के बारे में 60 पन्नों की एक स्टडी में बताया था।

 

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MEAIndia DrSJaishankar rajnathsingh GoI_MeitY rsprasad PMOIndia narendramodi India ko bji iski tayari karni chaiye aur chin ko usi ki tarah jabab dena chaiye.

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