गांधी जयंती विशेषः उदास महात्मा ने जब माउंटबेटन से कहा था- पर मैं विभाजन कब चाहता था?

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मेरे चित्र को हार पहनाने के लिए हर कोई उत्सुक रहता है, लेकिन सलाह मानने को कोई तैयार नहीं है -महात्मा गांधी, आज 2 अक्तूबर को पढ़िए महात्मा के जीवन का यह सच GandhiJayanti

वह जनता के बीच उन्हीं के जैसे होकर भी सबसे अलग और महान थे. मन, वचन और कर्म से इतने एक कि कोई उन्हें महात्मा कहता, तो कोई बापू. गांधी तो वह थे ही. एक ऐसी महान आत्मा, जिनके सत्य, अहिंसा से पूर्ण विचारों के समक्ष समूची दुनिया उनके जीवनकाल में भी अभिभूत थी- और आज भी नतमस्तक है. वह दुनिया में उपनिवेशवाद के खात्मे के सबसे बड़े योद्धा थे, और वह भी केवल एक लाठीधारी. लाठी, जो किसी पर चलती नहीं थी, बल्कि उन्हें सहारा देती थी.

लियाकत अली खान: निचले नेताओं को रोका जा सकता है, लेकिन जो सबसे बड़े हैं, जैसे गांधीजी, वे बात तो अहिंसा की करते हैं, लेकिन उनकी प्रार्थना सभाओं के कई भाषण हिंसा को उकसाने वाले हैं. माउंटबेटन: मैं सहमत हूं, लेकिन यह तब, जब उनके भाषणों का सावधानी से विश्लेषण किया जाए. लेकिन निश्चय ही, खासतौर से कम समझ वालों की भावनाओं को तब उकसावा मिलता है, जब वे कहते हैं, विभाजन गलत है. हमें इसे रोकना चाहिए. हमें हार नहीं माननी है.माउंटबेटन: वे आश्वस्त हैं. निर्णय जो भी हो, महात्मा गांधी अहिंसा पर बल देंगे.

बेशक गांधी खुद को अकेला महसूस कर रहे हों. पर माउंटबेटन को आम आदमी पर उनकी पकड़ का अहसास था. माउंटबेटन को लगा, 'जिन्ना ने भारत की एकता की आशाओं पर पानी फेर दिया. कहीं गांधी विभाजन की योजना पर पानी न फेर दें.' कांग्रेस का कोई पदाधिकारी न होने के कारण गांधी ने माउंटबेटन की अन्य नेताओं के साथ बैठक में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था. माउंटबेटन ने उन्हें अलग से मिलने को राजी किया. दो जून, 1947. वह सोमवार का दिन था. गांधीजी के मौन का दिन.

गांधीजी की निराश प्रतिक्रिया थी, 'ईश्वर उनकी रक्षा करे. उन्हें सद्बुद्धि दे.' लेकिन माउंटबेटन का ध्यान अब भी गांधीजी की ओर था. उन्हें खबर मिली कि गांधी कांग्रेस नेताओं से खुद को अलग करके अपनी प्रार्थना सभा में विभाजन की योजना की निंदा करने वाले हैं. फौरन ही माउंटबेटन के दूत गांधीजी के पास पहुंचे. चार जून को माउंटबेटन और गांधीजी फिर आमने-सामने थे. माउंटबेटन ने अपनी पूरी क्षमता के साथ गांधीजी की भावनाओं को थपकियां दी. कहा, 'इसे माउंटबेटन योजना गलत कहा जा रहा है.

 

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We all know and celebrate 2nd October as Mahatma Gandhi Jayanti. But very few know on 2nd October Lal Bahadur Shastri was also born and was Prime Minister of India. Let's celebrate this day as BAHADUR MAHATMA JAYANTI.

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