दुनियाभर में 120 करोड़ लोग हिन्दी बोलते हैं. यानी हर छठा आदमी हिंदी समझता है, लेकिन इसके बावजूद हमारे देश में हिंदी को लेकर कई लोगों में हीन भावना है. अगर सामने वाला अंग्रेज़ी बोल रहा हो.. तो हिंदी बोलने वाला कई बार दबाव में आ जाता है और शर्म महसूस करने लगता है. हिंदी भाषा के प्रति इसी हीन भावना के कारण मशहूर व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई ने एक बार कहा था कि 'हिंदी दिवस के दिन... हिंदी बोलने वाले.. दूसरे हिंदी बोलने वालों से कहते हैं कि हिंदी में बोलना चाहिए.
अंग्रेजी शब्द Mantra की उत्पत्ति संस्कृत और हिंदी के शब्द मंत्र से ही हुई है. और सत्रहवीं शताब्दी से भारत में इस्तेमाल हो रहे चंपी शब्द से अंग्रेजों ने Shampoo शब्द बना लिया था और ऐसे ही हिंदी शब्द चटनी से Chutney...ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि हमने आज़ादी को शासन व्यवस्था पर नियंत्रण तक सीमित माना. और वैचारिक आज़ादी के बारे में कभी सोचा ही नहीं. वैचारिक आज़ादी तब तक नहीं मिल सकती , जब तक आप अपनी संस्कृति पर गर्व ना करें, अपनी मातृभाषा और अपनी विरासत का सम्मान ना करें.
sudhirchaudhary Thank You Sir
sudhirchaudhary भाषाएँ नदी की तरह होती हैं, जो घटती-बढ़ती रहती हैं। कहीं एकदूसरे में मिलकर विलुप्त हो जाती हैं, तो कहीं शाखित होकर नई भाषाएँ बन जाती हैं। ये सब विकासक्रम का एक अनिवार्य अंग है। इसके लिए चिंता करने की बात नहीं है।
sudhirchaudhary Good morning sir
sudhirchaudhary हिंदू_से_हिंदू_जुड़ें
sudhirchaudhary Zara prime time ravish ka dekho Kuch sikhoge DNA achha hoga
sudhirchaudhary
sudhirchaudhary Very nice
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