जिस देश ने सुरक्षाकर्मियों के ही हाथों अपना एक प्रधानमंत्री खोया हो और जिसके एक पूर्व प्रधानमंत्री को लचर सुरक्षा व्यवस्था के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी हो, उसके प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में चूक हो जाए तो यह राष्ट्रीय चिंता का विषय होना चाहिए। लेकिन दुर्भाग्य यह कि पांच जनवरी की घटना राष्ट्रीय चिंता का विषय नहीं, बल्कि राजनीति के दांवपेच का खेल बन गई है। प्रधानमंत्री द्वारा अधिकारियों से यह कहना कि अपने सीएम चन्नी को धन्यवाद देना कि वे जिंदा बठिंडा पहुंच गए हैं, पर सोचने के बजाय राजनीति...
भारतीय मानसिकता चाहे कारपोरेटीकरण की समर्थक हो या विरोधी, उसकी एक अभीप्सा तो अमेरिका जाना या अमेरिका जैसा बनना ही है। भारत के वामपंथी अमेरिकी नीतियों का विरोध तो करते हैं, लेकिन जब भी लोकतंत्र, नागरिक अधिकार और नागरिक सहूलियतों का सवाल उठता है, वे अमेरिका को ही मानक के तौर पर प्रस्तुत करते हुए भारतीय व्यवस्था की आलोचना करते हैं। उसी अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन पर एक बार पद पर रहते हुए हमला हुआ था। तब उनकी सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को पता लगाने के साथ ही नई व्यवस्था सुझाने के लिए...
यह सच है कि केंद्रीय एजेंसियां, मसलन प्रवर्तन निदेशालय, आयकर और सीबीआइ भी केंद्रीय सत्ताओं के इशारे पर काम करती रही हैं। लेकिन यह भी सच है कि राज्यों के पास न्यायिक पुनरीक्षण का अधिकार है। वे केंद्र की बेजा हरकतों के खिलाफ न्यायपालिका की शरण ले सकते हैं। लेकिन अगर राज्यों के खिलाफ केंद्र न्यायपालिका की शरण में जाने लगेगा तो मजबूत केंद्र की अवधारणा को ही चोट पहुंचेगी। ऐसे में जरूरत इस बात की है कि केंद्र में चाहे जिस भी पार्टी की सरकार हो, मजबूत केंद्र की अवधारणा को चोट नहीं पहुंचनी चाहिए। जिस...
कुछ ऐसी ही राय संविधान सभा में बिहार से चुनकर आए सदस्य ब्रजेश्वर प्रसाद की भी थी। संविधान के अनुच्छेद 266 पर चर्चा के दौरान उन्होंने जो कहा था और जो आशंकाएं जताई थीं, वे आजादी के 75 साल बीतते-बीतते सच होती दिखने लगी हैं। संविधान के अनुच्छेद 266 में राज्य को संघ के कराधान से छूट देने का अधिकार देने के लिए संविधान सभा में नौ सितंबर 1946 को प्रस्ताव रखा गया था। इस पर चर्चा करते हुए तब ब्रजेश्वर प्रसाद ने कहा था, ‘इस प्रविधान के समर्थन में एकमात्र संवैधानिक औचित्य यह है कि इस तरह के प्रविधान को...
यह बिडंबना ही है कि जिस पंजाब के सरदार हुकुम सिंह और काका भगवंत राय ने राज्य को मजबूत अधिकार देने का विरोध किया, उसी पंजाब में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में राज्य के प्रशासनिक तंत्र द्वारा चूक होती है और कहां तक इस चूक पर सवाल उठना चाहिए, उसे दूर करने की कोशिश होनी चाहिए तो उलटे इस पर राजनीति हो रही है।
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