क्यों पूरे देश में फसलों का एक न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों का नुकसान है

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क्यों पूरे देश में फसलों का एक न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों का नुकसान है कृषि किसान एमएसपी स्वामीनाथनआयोग Agriculture Farmers MSP SwaminathanCommission

केंद्र सरकार ने हाल ही में रबी सीजन 2020-21 के लिए धान, ज्वार, बाजरा, मक्का समेत विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय कर दिया है.हालांकि हकीकत ये है कि मोदी सरकार ने कम लागत मूल्य के आधार पर एमएसपी तय की है.

राज्यों ने उनके यहां की उत्पादन लागत के हिसाब से समर्थन मूल्य तय करने की सिफ़ारिश की थी, लेकिन केंद्र ने सभी प्रस्तावों को खारिज कर दिया था. छत्तीसगढ़ सरकार ने भी तीन मई 2019 को भेजे अपने तीन पेज के पत्र में राज्य की खरीफ फसलों की लागत का विस्तार से गणना करते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने के लिए कहा था.

उदाहरण के तौर पर साल 2019 में केंद्र ने धान की एमएसपी 1,815 रुपये निर्धारित की थी जबकि महाराष्ट्र ने इसकी एमएसपी 3,921 रुपये तय करने के लिए कहा था. हरियाणा की एक बड़ी समस्या ये है कि अंधाधुंध धान के उत्पादन की वजह से राज्य इस समय भयानक पानी के संकट से जूझ रहा है. इसलिए यहां पर ऐसी फसलों को बढ़ावा देने की जरूरत है, जो कम पानी में तैयार हो जाएं. इसी बात को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने मक्का का उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने की योजना बना रही है.

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने कहा था कि प्रदेश में लघु एवं सीमांत किसानों की संख्या अधिक होने, प्रदेश में जोत का आकार काफी छोटा होने और किसानों की संसाधन तथा कृषि निवेशों के उपयोग की क्षमता कम होने के कारण एमएसपी में बढ़ोतरी की जाए. एक जुलाई 2019 को भेजे अपने पत्र में राज्य सरकार ने कहा था कि ओडिशा एक प्रमुख धान उत्पादक राज्य है और यहां पर भंडारण का काफी दुरुस्त सिस्टम है, इसलिए धान की एमएसपी में मामूली वृद्धि से राज्य के किसानों को शायद ही कोई लाभ मिले.

इस तरह यहां स्पष्ट है कि पश्चिम बंगाल के किसानों को सी2 लागत के जितना भी एमएसपी नहीं मिल रहा है. वहीं यदि ए2+एफएल लागत से तुलना की जाए तो निर्धारित एमएसपी में लागत का 50 फीसदी नहीं बल्कि मात्र 21.53 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. इसका मतलब है कि राज्य के किसान को एक क्विंटल धान बेचने पर ए2+एफएल लागत के हिसाब से 407 रुपये और सी2 लागत के हिसाब से 892 रुपये का नुकसान होगा.

इस तरह किसी भी सूरत में निर्धारित एमएसपी महाराष्ट्र के किसानों के लिए लागत का डेढ़ गुना दाम नहीं दे सकेगी. केंद्र सरकार ने औसतन ए2+एफएल लागत 1175 रुपये के हिसाब से बाजरे की एमएसपी 2,150 रुपये तय की है. जबकि राज्य में ए2+एफएल लागत 1,199 रुपये और सी2 लागत 1,550 रुपये है. वहीं महाराष्ट्र के बाजरा किसानों को भी नुकसान झेलना पड़ सकता है. यहां पर ए2+एफएल लागत 2,245 रुपये और सी2 लागत 2,747 रुपये है, जो कि निर्धारित एमएसपी से भी कम है. इसका मतलब है कि यदि राज्य का किसान एक क्विंटल बाजरा बेचता है तो उसे 95 रुपये और 597 रुपये का नुकसान उठाना पड़ेगा.

 

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