“मेरे पिता कोरोना संक्रमण से पीड़ित हैं. मैंने उन्हें बीएल कपूर, फ़ोर्टिस, मैक्स, मूलचंद, वेंकटेश्वर, होली फ़ैमिली और अपोलो जैसे नामी और सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में भर्ती कराने की कोशिश की लेकिन किसी ने उनकी परवाह नहीं की. उन्होंने बेड न होने की बात कही. उन्होंने कहा कि अगर मैं 15-20 लाख रुपये एडवांस में जमा करा सकता हूं तो कुछ हो सकता है, वरना नहीं.”
बाटला हाउस इलाके में रहने वाले हैदर अली ने बताया कि कम-से-कम पांच-छह अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद उनकी कोरोना संक्रमित पत्नी को हमदर्द नगर के एक अस्पताल में भर्ती कराया जा सका. हैदर अली का आरोप है कि मरीज़ को भर्ती करने से पहले अस्पताल ने उन्हें एक लाख रुपये कैश में जमा कराने पर मजबूर किया. वो बताते हैं, “अस्पताल के बाहर और अंदर परिसर में बिल्कुल सफ़ाई नहीं थी. हर जगह इतनी भीड़ थी कि लोग मक्खी-मच्छरों की तरह एक-दूसरे से चिपके हुए थे. एक ही जगह पर टेस्ट हो रहा था, वहीं रिपोर्ट मिल रही थी और वहीं किसी की मौत की ख़बर आते ही रोना-धोना चल रहा था. ये सब देखकर मैं बहुत घबरा गया और मुझे लगा कि भाई यहां रहा तो और बीमार हो जाएगा.
बीबीसी की टीम पिछले तीन दिनों से दिल्ली के अलग-अलग अस्पतालों में फ़ोन करके खाली बेड, वेंटिलेटर और खर्च का जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है.· फ़ोर्टिस एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट में बेड उपलब्ध हैं लेकिन इसके लिए भारी-भरकर राशि देनी होगी. बेड का रोज़ाना ख़र्च- 9000 रुपये, डॉक्टर की एक विजिट-4200 रुपये, आईसीयू का रोज़ाना खर्च-एक लाख रुपये और भर्ती होने से पहले 50 हज़ार-80 हज़ार रुपये एडवांस में देना होगा.
दिल्ली सरकार ने लैब टेस्ट, बेड, आइसोलेशन बेड, आईसीयू और वेंटिलेटर के ख़र्च को भी अस्पताल में अलग-अलग जगहों पर प्रमुखता सेसरकार ने ये भी है कहा कि हर निजी अस्पताल में एक सीनियर नर्सिंग ऑफ़िसर भी तैनात किया जाएगा जो मरीज़ों की मदद करेगा और उनकी शिकायतें सरकार तक पहुंचाएगा. हर अस्पताल में 24x7 हेल्पलाइन भी शुरू की गई है.दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य महानिदेशालय की प्रमुख डॉक्टर नूतन मुंडेजा ने बीबीसी हिंदी से कहा, “दिल्ली में कोविड-19 के इलाज के ख़र्च पर कोई कैप नहीं लगाया गया है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर राजन शर्मा का मानना है कि मौजूदा हालात में कोरोना से लड़ाई के लिए ‘एक राष्ट्र एक नीति’ अपनाई जानी चाहिए. वो कहते हैं, “सभी एमबीबीएस ग्रैजुएट प्रशिक्षित डॉक्टर होते हैं. सरकार को उन्हें कोविड मरीज़ों की देखभाल के लिए बस 10-15 दिनों की ट्रेनिंग देनी होगी और इसके बाद वो ड्यूटी के लिए तैयार होंगे. इस तरह हम अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी को पूरा कर सकते हैं.”
Promote bhi aapne hi kiya tha .....inko
क्यों नहीं सरकारी अस्पतालों को निजी अस्पताल के तरह बनाया जाता।
महामारीएक्ट के कारण जोभी कोरोना पॉज़िटिव हो गया,वह सरकार द्वारा प्रमाणित किसी कोविडहॉस्पिटल में भर्ती होजाता है,अपने घर की बेड पर लेट कर अपने मर्ज़ी की होम्योपैथिकदवानहीं करसकता। आखिर जब एलोपैथी में इस रोग की कोईदवा हीनहीं है,तो फिर गरीब मरीज़ोंको घरपर ही लेटने दो। 90% ठीक होंगे।
घुँघरू सेठ मौहल्ला क्लीनिक कि ढिंगे हांकते थे तारीफ के पुल बांधते थे कोरोना महामारी में इनकी क्षमता और उपयोगिता कि असलियत बाहर आ गयीं और इसकी तारीफ करने वाले सोनियासेना प्रमुख उलझन ने अपना प्रदेश का भी बेडगर्क कर डाला
Bikul
अरे एक बात बताऊ अब डॉ और मरीज वाली बात नही रही अब दुकानदार और ग्रहाकों वाली बात है अब हॉस्पिटल्स बिजनेस का धंधा हो गया है महाराज क्योकि भारत मे जो vip वाला सिस्टम है यही एक कारण है कि हर कोई ईमान बेंच कर इस vip vvip बनना चाहता है चाहे उन्हें कोई कीमत चुकानी हो
आपदा काल में भी डाक्टर्स लूटमार मचाये हुए है कोरोना वायरस की आड़ से !! लगता है कि जितना पैसा खर्च करके डागडर बने है सब कोरोना में ही वसूल लेंगे ये सब लोग !!
So strange !! few months back same Delhi goverment was providing free riding, electricity water and God knows what else !
It's true and really sad.....depute army in hospitals for maintaining discipline...
Why don't govt put capping on these private hospitals
मेडिकल माफिया कमाई का खतरनाक खेल चल रहा है, जबरदस्त लूट चल रही है।
इसी दिन के लिए राहुल गांधी ज़ी ने चेताया था तब आप उसका मज़ाक उड़ा रहे थे
काश इतनी ही इमानदारी से हर राज्य की तस्वीर मिडिया बताती. पर सत्य छुपाया जाता है.......
satyendarjain ap drharshvardhan ji se baat kijiye. Hospitals ke rate fix kijiye.
Aam aadmi to Mar hi jayega
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