नई दिल्ली : चुनाव के दौर में एक राजनीतिक बहसबाजी शुरू हुई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि कांग्रेस अगर सत्ता में आएगी तो वह पिछड़े और अति पिछड़े लोगों का आरक्षण छीनकर मुसलमान ों को दे देगी. क्या कानूनी तौर पर क्या ऐसा संभव है? सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील आरके सिंह , जिन्होंने इस मामले में गहन अध्ययन भी किया है, ने NDTV से कहा कि, मौजूदा संवैधानिक व्यवस्था में तो ये संभव नहीं है.
आरके सिंह ने कहा कि, ''धर्म आधारित आरक्षण का प्रश्न उठ रहा है, तो ये पता नहीं कहां से उठ रहा है, क्यों उठ रहा है, यह सियासी बात तो मैं नहीं जानता, लेकिन कहीं ना कहीं हमारा जो कॉन्स्टीटयूशन स्कीम ऑफ थिंग्स है, उसमें यह टेंपरेरीली संभव नहीं है.'' संविधान सभा ने तय किया था आरक्षण का आधार कितने सदस्य थे, कितनी मेजारिटी में किस तरीके से यह फैसला आया था? इस सवाल पर वरिष्ठ वकील ने कहा कि, जो वहां पर फाइनल वोटिंग आई थी उसमें लगभग 174 लोग इस बात से सहमत थे कि, धर्म आरक्षण का आधार नहीं होना चाहिए. आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के भी बहुत सारे फैसले हैं. हमने देखा कि किस तरह से आर्थिक और सामाजिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. उस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने मोहर लगाई तो लगातार इस तरह के मुद्दे यहां पर आते रहते हैं.
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