सितंबर के महीने में भारतीय बाज़ार में औसतन छह लाख मिट्रिक टन प्याज़ उतरता है. लेकिन इस साल 22 सितंबर तक भारतीय बाज़ारों में महज 3.1 लाख मिट्रिक टन ही प्याज पहुंचा है.
मीडिया में लगातार प्याज़ की बढ़ती क़ीमत से जुड़ी ख़बरें आ रही हैं, इसके चलते ही सरकार ने प्याज़ की क़ीमतों को कम करने का फ़ैसला लिया है. लेकिन इन किसानों का कहना है कि मीडिया में उनकी मुश्किलों के बारे में भी बताना चाहिए.थाडी सारोला गाँव के एक किसान ने बताया,"पिछले हफ़्ते प्याज की क़ीमत 3500 रुपए क्विंटल थी, जो अब घटकर 2500-2600 रुपए रह गई है. कुछ लोगों का कहना है कि मिस्र से प्याज़ मंगाया जा रहा है. मेरे जैसे किसान अपने प्याज को स्टोर कर रहे हैं.
वो बताते हैं,"जब प्याज की क़ीमत बढ़ती है तब तो सरकार तेजी से सक्रिय होती है लेकिन जब किसान अपने प्याज़ को 200 प्रति क्विंटल भेजने को मजबूर होते हैं तब सरकार तत्परता क्यों नहीं दिखाती? उस वक़्त किसानों को सरकारी अनुदान मिलना चाहिए और सरकार को चाहिए कि वह कम से कम 1500 रुपए प्रति क्विटंल के भाव से ख़रीदारी करे."
"देश के दक्षिणी हिस्से से सितंबर-अक्टूबर में आने वाला प्याज़ भी एक महीने की देरी से पहुँच रहा है. महाराष्ट्र के सोलापुर और मावल जैसे क्षेत्रों में भी प्याज की फसल बारिश के चलते प्रभावित हुई है. यह सारा प्याज बाज़ार में एक महीने की देरी से नवंबर के पहले सप्ताह में पहुंचेगा."
निर्यात बंद होने से किसान गुस्से में है और इसका परिणाम आपको आने वाले चुनाव में मिलेगा खास कर महाराट्र में बहुत गलत किया है अपने 1 2 माह की तो बात है फिर भाव सामान्य हो जाते
Ye to media ki krupa hai. Farmer ko TRP marane ke baad hi milata hai. Ye librandus hai unko to sirf market ka bhav pata hota hai.
किसानों के नफा - नुकसान की किसको चिंता होती है । चिंता तो बस खेत आये दाल ,प्याज,टमाटर,शक्कर के दाम बढ़ने से होती है । बाढ़- सूखा के कारण इनका आभाव है ,,शहरी मध्यम वर्ग खेत छोड़ शहर जा रहे है । इनको सस्ता दूध ,प्याज मिले बस । 10₹ के भाव बढ़ जाये तो हायतौबा शुरू
जब 60/- रूपए किलो प्याज होता हैं तब farmers loan के emi क्यों नही भरते हैं
क्यों कि बनिया की हर राजनीतिक दलों में पैठ है।
प्याज,लहसुन,टमाटर सब पर हंगामा होता है...सालों से
लें देख लें कौड़ी के प्याज पर भी हंगामा होता है....
कुछ चूतिये बस किसान किसान चिल्लाते है और जब किसान को 2 रुपया ज्यादा मिलने लगा प्याज़ पर तो उनका रंडी रोना शुरू हो गया ।।
कौड़ी के भाव या आसमान छूते भाव, दोनों सरकारी नीतियों या नीयत के बारे में बताते हैं.
Tum Britishers ko kya jata ? ... Tum toh tatty khane layak nahi
क्योकि सरकार को किसान की कम जमाखोरो की चिंता ज्यादा रहती है
भाव तो किसान के लिऐ आज भी लगभग वही ये तो दल्लो का खेल ये शेयर बाजार में भी व्यापक ऐसा तक कि लगे साऊथ कम्पनी नहीं मिलता सम्मान! भाव!!
क्योंकि यह नया इण्डिया हैं , जिसके जरूरतें अब समय अनुसार बदल गया हैं ।
Remember BBC is a Muslim Channel now, with it's head office in London , which has become Londonistan ,taken over by muslimRefugees , it's news is always Anti-Hindu. Most of it's staff are obviously IslamicTerrorist .
i_marwadi pyaaz kavdi ke bhav ho gayi to kissan mar jata us ko fasal ka daam nahi milta... bazaar me 'demand' aur 'suply' me balance ho to koi pareshan nahi hoga... sarkar chalana, chai bechna, bhiksha mangna sab alag alag cheezein' hai
What a rubbish.
कौड़ी के भाव किसान के घर से बिकता है सोने के भाव व्यापारी के घर से जमीन और आसमान का फर्क है क्या पत्रकारिता करते हो जब इतना नहीं समझ है
कीमतें नियंत्रित रखना सरकार की जिम्मेदारी है सरकार के अदूरदर्शिता का परिणाम है असंतुलन।
किसान की उपेक्षा कृषि प्रधान देश में
और जो वाकई ब्याज कौड़ियों के भाव हो जाता है तो फिर हंगामा क्यों नहीं होता?
Either way people and farmers suffer.. all bcoz lack of transparency and hoarding
होता है । जी !
Correct
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