चीन ने कहा है कि वह तीन जनवरी के बाद से डब्ल्यूएचओ के साथ नियमित तौर पर संपर्क में रहा. समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस ने डब्ल्यूएचओ की बैठक की रिकॉर्डिंग हासिल की है, जिसमें कुछ उन्होंने पीबीएस फ्रंट लाइन और बीबीसी के साथ शेयर किया है. इस रिकॉर्डिंग्स से दूसरी तस्वीर उभरती है जिससे उस सप्ताह डब्ल्यूएचओ के वरिष्ठ अधिकारियों की हताशा का पता चलता है.
समाचार एजेंसी एपी के डेक कांग ने बताया, "डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों ने अपनी आशंकाओं को कभी सार्वजनिक तौर पर ज़ाहिर नहीं किया और चीन ने भी इसे लंबित रखा. आख़िरकार, बाक़ी दुनिया को उतना ही पता चला जितना कि चीनी अधिकारी बताना चाहते थे. वे बताना चाहते थे कि सबकुछ नियंत्रण में हैं, जबकि वास्तविकता यह नहीं थी."वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या हर कुछ दिन पर दोगुनी हो रही थी और वुहान के अस्पतालों में संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही थी.
सरकार की इस कोशिश का असर डॉक्टरों पर दिखा. डॉक्टरों के सामने यह स्पष्ट होने लगा था कि संक्रमण एक इंसान से दूसरे इंसान को होने लगा है, लेकिन वे सार्वजनिक तौर पर यह बोल नहीं रहे थे. ली के अस्पताल वुहान सेंट्रल के एक कर्मचारी ने बीबीसी को बताया, "इतने लोगों को बुखार हो रहा था. स्थिति नियंत्रण के बाहर चली गई थी. हमलोग घबराने लगे थे. लेकिन अस्पताल ने हमसे कहा कि इस मुद्दे पर आप किसी से बात नहीं कर सकते.
उनके रिसर्च पार्टनर और सिडनी यूनिवर्सिटी में इवोल्यूशनरी वायरोलॉजिस्ट प्रोफेसर एडवर्ड होम्स ने कहा, "उस दिन वे लगातार कोशिश कर रहे थे कि जल्दी से नतीजे को जारी किया जा सके ताकि पूरी दुनिया को पता चल सके कि वायरस क्या है और उस हिसाब से इलाज की तैयारी शुरू हो." इसके छह दिन बाद यह बताया गया कि नया वायरस कोरोना वायरस है, लेकिन तब तक कोई जेनेटिक सीक्वेंस शेयर नहीं किया गया, अगर ऐसा होता तो वायरस की रोकथाम में मदद मिलती.
वो भी क्या दिन थे.. जब प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति दोनों लाजबाव थे.....अनमोल जोड़ी ❤️❤️
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