यह भी पढ़ेंउत्तराखंड के जंगल में लगी भीषण करीब 1144 हैक्टेयर के इलाके में फैल गई है और सबसे अधिक आग उन इलाको में लगी है, जहां चीड़ के पेड़ ज्यादा हैं. यहां अबतक 900 से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं और इनमें 4 लोगों की मौत भी हो चुकी है. अलग-अलग इलाको में 350 से अधिक मुकदमे दर्ज किए गए हैं, जिसमें 61 केस ऐसे हैं, जिनमें लोगों को नामजद किया गया है. आग की अलग-अलग वारदातों में 10 से ज्यादा को गिरफ्तार किया गया है.
उत्तराखंड में गढ़वाल हो या कुमाऊं जंगलों की आग हर जगह है चाहे पहाड़ी क्षेत्र हो या फिर सड़कों के किनारे आग का तांडव हर जगह मचा हुआ है आग की लपटें जंगल के जंगल जला रही हैं. जंगलों में लगने वाली आग के पीछे कई वजह हैं कुछ मानसून सीजन में अच्छी घास के लिए आग लगा रहे हैं तो कुछ केवल शरारत में ही आग लगा रहे हैं. "कुछ शरारती तत्वों द्वारा जंगलों में जानबूझकर आग लगाई जा रही थी. कुछ मामलों में भविष्य में जंगलों में अच्छी घास आने के लिए आग लगाई जा रही थी.
उत्तराखंड के निवासी नागेंद्र ने कहा,"उत्तराखंड में ज्यादातर जंगल चीड़ के ही है हर ब्लॉक से लेकर हर डिस्ट्रिक्ट तक चीड़ के जंगल हैं और गर्मियों के समय चीड़ की पत्तियां नीचे जमीन पर गिरती हैं, जिस पर आग तेजी से लगती है आग से इतना धुंआ हो चुका है कि उत्तराखंड और दिल्ली में कोई अंतर नहीं लगता है. उत्तराखंड के जंगलो में सबसे ज्यादा आग चीड़ के पेड़ की वजह से लग रही है क्योंकि इसके पत्ते जिन्हें पिरूल कहा जाता है उसमें आग बहुत तेजी से पड़ती है. इसके अलावा किड से निकलने वाला तरल पदार्थ पेट्रोल की तरह ही आग पकड़ता है जिसको लिसा कहा जाता है.UttarakhandForest fire in Uttarakhandforest fireटिप्पणियां पढ़ें देश-विदेश की ख़बरें अब हिन्दी में | चुनाव 2024 के लाइव अपडेट के लिए हमें फॉलो करें. और जानें इलेक्शन शेड्यूल NDTV India पर.
Forest Fire In Uttarakhand Forest Fire
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