सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने गत दिनों राज्यसभा में राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के जो आकंड़े साझा किए, उनके अनुसार देश में दलित उत्पीड़न वर्ष 2018 के मुकाबले वर्ष 2019 में 11.46 प्रतिशत बढ़ गया. इस वृद्धि में उसके सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा सबसे बड़ा है, दूसरे शब्दों में कहें तो वह टॉप पर है.
इसके बावजूद ब्राह्मण अपने एक हिस्से के इस दृष्टिकोण के तहत कि किसी पार्टी का वोट बैंक बनने से ज्यादा फायदा जहां भी और जैसे भी मौका मिले उधर कुलांच जाने में है, अपने हितों व सुविधाओं के अनुसार प्रत्याशी व पार्टियां चुनते रहे. उनकी यह तलाश सपा या कांग्रेस के, जो प्रियंका गांधी की सक्रियताओं में पुनर्जीवन तलाश रही है, बजाय उसी पर आकर खत्म हो, इसके लिए बसपा ने पिछले दिनों अयोध्या से महत्वाकांक्षी ब्राह्मण सम्मेलनों की शुरुआत की, जिनका नाम बाद में ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ कर दिया.
उसके प्रबुद्ध सम्मेलनों से असहज महसूस कर रही भाजपा ब्राह्मणों को अपने साथ जोड़े रखने की कोशिशों में कांग्रेस से अपने पाले में आए ब्राह्मण नेता जितिन प्रसाद के प्रमोशन में मुब्तिला बताई जाती है और खुद को उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी बताने वाली समाजवादी पार्टी ने भी अपने नेता अभिषेक मिश्र की अगुआई में ब्राह्मण सम्मेलन करने व उसी की तरह भगवान परशुराम के गौरव की वृद्धि के लिए उनकी विशाल मूर्ति लगाने के ऐलान कर दिए हैं, तो बसपा सुप्रीमो मायावती इसे अपने प्रबुद्ध सम्मेलन से बसपा विरोधी दलों में खलबली मचने...
उनके अनुसार, सपा-बसपा गठबंधन टूटने पर उन्होंने नेतृत्व व शक्ति पाने के लिए ऊंची जातियों के दलों भाजपा तथा कांग्रेस से मेलजोल बढ़ाया. इसी क्रम में 2002 में गुजरात में अल्पसंख्यकों के नरसंहार के बाद मायावती नरेंद्र मोदी का प्रचार करने गुजरात भी गईं. साफ है कि वे सत्ता के लिए जब भी ऊंची जातियों से मेलजोल बढ़ाती दिखती हैं, कांशीराम के पदचिह्नों पर ही चलती है.
Those who have done politics of pitching one community against others can not digest the coming together of those communities(Sawarna and Dalits)
बकवास. कोई हिंदुत्व का एजेंडा नही. सबकी हिस्सेदारी, सबकी भागीदारी एजेंडा है, इस इन्क्लूसिव एजेंडे में मुस्लिम, हिंदू,सिख, ईसाई, जैन, पारसी समाज से आने वाले सभी दबे कुचले, गरीब शामिल है, ये नफरत वाला एजेंडा नहीं,भागीदारी वाला एजेंडा है। इससे अंबेडकरवादी एजेंडा बोलते हैं।
कह नही सकते....
बसपा को वहीं मिलेगा जो द वायर को अक्सर मिलता है 😭😭
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