चुनाव डेस्क, नई दिल्ली। 2013 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में नोटा का इस्तेमाल शुरू हुआ था। अगर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशी मतदाता के लिहाज से उपयुक्त नहीं हैं तो वह नोटा को अपना वोट दे सकता है। नोटा की शुरूआत करने का उद्देश्य नारिकों को अपना असंतोष व्यक्त करने का मौका प्रदान करना था। नोटा का सबसे पहले इस्तेमाल 2013 में पांच राज्यों की विधानसभा चुनाव में किया गया था। इसके बाद से सभी विधानसभा और लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को यह विकल्प मिल रहा है। यह भी पढ़ें: कुर्सी नहीं पकड़ सके ये...
कराने वाला दुनिया का 14वां देश था। सबसे पहले यहां हुआ नोटा का इस्तेमाल भारत निर्वाचन आयोग ने 11 अक्टूबर 2013 से ईवीएम और मतपत्रों में नोटा का विकल्प उपलब्ध कराना शुरू किया था। नोटा का विकल्प मतपत्रों और ईवीएम के अंतिम पैनल में होता है। 2013 में पहली बार नोटा का इस्तेमाल छत्तीसगढ़, मिजोरम, राजस्थान, मध्य प्रदेश और दिल्ली के विधानसभा चुनावों में किया गया था। नोटा को अधिक वोट मिले तो क्या होगा? चुनाव आयोग के मुताबिक, नोटा के मतों को गिना जाता है। मगर इन्हें रद्द मतों की श्रेणी में रखा जाता है। अगर...
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