के सात चरणों का मतदान हो चुका है. उम्मीदवारों की किस्मत अब EVM में कैद हो गई है और 10 मार्च को जनता का फैसला लोगों के सामने होगा. फिलहाल एग्जिट पोल बता रहे हैं कि योगी सरकार की वापसी हो रही है. 2017 के चुनाव में बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन यूपी की कुछ ऐसी सीटें भी हैं, जहां बीजेपी को कभी जीत नसीब नहीं हुई. इनमें आजमगढ़ जिले की आठ विधानसभा सीटों से लेकर आजम खान के गढ़ रामपुर तक की कई सीटें शामिल हैं.
बीजेपी को ऐसी सीटों पर जीत का अभी भी इंतजार है, इसलिए उसने इन सीटों पर पूरी जान लगा दी है, अब नतीजे बताएंगे क्या इन सीटों पर बीजेपी का खाता खुलेगा? हम आपको बता रहे हैं उन सीटों के बारे में जो बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती रही हैं.गोरखपुर भले ही बीजेपी का गढ़ माना जाता हो, लेकिन यहां की चिल्लूपार सीट ऐसी सीट है, जहां बीजेपी का अब तक खाता नहीं खुला. 2017 के विधानसभा चुनाव में 9 में से 8 सीटें बीजेपी ने जीती थी, लेकिन चिल्लूपार की सीट बीएसपी के खाते में गई.
पिछले तीन चुनावों से ये सीट बीएसपी के नाम रही है, इस बार हरिशंकर तिवारी के बेटे विनय शंकर बीएसपी का दामन छोड़कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो चुके हैं. बीजेपी की तरफ से राजेश त्रिपाठी मैदान में हैं.देवरिया की भाटपाररानी विधानसभा सीट देवरिया की भाटपाररानी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी का गढ़ मानी जाती है. पूर्व मंत्री कामेश्वर उपाध्याय इस सीट से पांच बार विधायक चुने गए. 2013 में उनके निधन के बाद उनके बेटे आशुतोष उपाध्याय इस सीट से विधायक बने. इस सीट से अभी तक बीजेपी का खाता भी नहीं खुला. 2017 के चुनाव में समाजवादी पार्टी की सीट से उम्मीदवार आशुतोष उपाध्याय को 61862 वोट मिले थे.के जयंत कुशवाहा उर्फ गुड्डन को 11 हजार से अधिक वोटों से हराया था.