SC On Marriage: 'टॉलरेंस अच्छी शादी की नींव, छोटे-मोटे झगड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं करना चाहिए', बोला सुप्रीम कोर्ट

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Supreme Court On Marriage: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी अपने दिल में इतना जहर लेकर लड़ते हैं कि वे एक पल के लिए भी नहीं सोचते कि अगर शादी खत्म हो जाएगी तो उनके बच्चों पर क्या असर होगा.

Supreme Court Verdict: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को परामर्शदाता जैसी सलाह देते हुए कहा कि सहनशीलता और सम्मान एक अच्छे विवाह की नींव हैं और छोटे-मोटे झगड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए. अदालत की यह टिप्पणी एक महिला की ओर से अपने पति के खिलाफ दायर दहेज-उत्पीड़न के एक मामले को रद्द करते हुए आई.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘‘एक अच्छे विवाह की नींव सहिष्णुता, समायोजन और एक-दूसरे का सम्मान करना है. एक-दूसरे की गलतियों को एक निश्चित सीमा तक सहन करना हर विवाह में अंतर्निहित होना चाहिए. छोटी-मोटी नोक-झोंक, छोटे-मोटे मतभेद सांसारिक मामले हैं और इन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश नहीं किया जाना चाहिए. जोड़ियां स्वर्ग में बनती हैं और इसे किसी तरह भी नष्ट करना उचित नहीं है.’’न्यायालय का यह अवलोकन उस फैसले में आया है, जिसके जरिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक संबंधित आदेश को रद्द कर दिया गया था.

कोर्ट ने आगे कहा, 'हम ऐसा क्यों कह रहे हैं, इसका एकमात्र कारण यह है कि पूरे मामले को ठंडे दिमाग से संभालने के बजाय, आपराधिक कार्यवाही शुरू करने से एक-दूसरे के लिए नफरत के अलावा कुछ और नहीं मिलेगा. पति और उसके परिवार के पत्नी के साथ वास्तविक दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के मामले हो सकते हैं. इस तरह के दुर्व्यवहार या उत्पीड़न का स्तर अलग-अलग हो सकता है.' अदालत ने कहा कि वैवाहिक विवादों में पुलिस तंत्र का सहारा अंतिम उपाय के रूप में लिया जाना चाहिए.

कोर्ट ने ये भी कहा, 'सभी मामलों में, जहां पत्नी उत्पीड़न या दुर्व्यवहार की शिकायत करती है, भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए को यांत्रिक रूप से लागू नहीं किया जा सकता. कोई भी प्राथमिकी आईपीसी की धारा 506 और 323 के बिना पूरी नहीं होती. दूसरे के लिए परेशानी का कारण बन सकने वाला हर वैवाहिक आचरण क्रूरता की श्रेणी में नहीं आ सकता. पति-पत्नी के बीच रोजमर्रा की शादीशुदा जिंदगी में मामूली गुस्सा और मामूली झगड़े भी क्रूरता की श्रेणी में नहीं आ सकते.

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