सोमवती अमावस्या के दिन शिव जी की पूजा की जाती है. इस दिन सुहागिन स्त्रियां पीपल के पेड़ की परिक्रमा करते हुए इसकी भी पूजा करती हैं. कहा जाता है कि पीपल की पूजा और परिक्रमा करने से सभी देवता प्रसन्न होते हैं. मान्यता है कि इस दिन पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. सोमवती अमावस्या के दिन पितृदोष की शांति के भी उपाय किए जाते हैं. इसके लिए लोग बरगद, पीपल, तुलसी या फिर आम के पौधे घरों में लगाते हैं. इस साल 3 सोमवती अमावस्या पड़ी हैं और ये इस साल की अंतिम सोमवती अमावस्या है.
शास्त्रों के अनुसार सूर्य ग्रहण के दौरान किया गया दान राहु, केतु और शनि के गलत प्रभावों को भी सही करता है.सूर्य को शासन, सत्ता और मान-सम्मान का कारक माना जाता है. ये ग्रहण भले ही भारत में ना दिखाई दे लेकिन जब ये ग्रसित होगा तो इसका प्रभाव ग्रह दशा के हिसाब से सभी लोगों पर कुछ ना कुछ जरूर पड़ेगा. सोमवती अमावस्या पर पड़ने के कारण भगवान शिव के मंत्रों का जाप कर इसके प्रभावों से बचा जा सकता है. आज पूरे दिन शिव की आराधना जरूर करें.ये ग्रहण वृश्चिक राशि और मिथुन लग्न में लग रहा है.
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