प्रदीप सिंह, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन की भाजपा में एंट्री फलदायी नहीं रही। बहुत तैयारी के साथ उन्होंने चुनाव के दौरान मोर्चा को झटका देने की कोशिश की, लेकिन चुनाव परिणाम ने उन्हें ही झटका दे दिया। भाजपा ने जिस रणनीति के तहत सीता सोरेन को दुमका से चुनाव लड़ाया, उसमें वह विफल हो गईं। भाजपा ने घोषित प्रत्याशी सुनील सोरेन को हटाकर सीता सोरेन को इसी मंशा के तहत टिकट थमाया था कि वह सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल झामुमो के खिलाफ तगड़ी मोर्चाबंदी कर सके। सीता...
रहा। इससे इतर झामुमो की तरफ से सीता सोरेन के प्रति कड़वे बोल से परहेज किया गया। कल्पना सोरेन ने कभी उनके आरोपों का जवाब नहीं दिया। पार्टी के रणनीतिकारों ने यहां तक कहा कि वह चाहें तो वापस लौट सकती हैं। हालांकि सीता सोरेन ने जिस प्रकार के तेवर दिखाए हैं, उससे उनकी झामुमो में वापसी की राह मुश्किल है। शिबू परिवार के खिलाफ मोर्चा खोलकर उन्होंने अपनी वापसी की राह बंद कर ली है। लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने के बाद अब अगले विधानसभा चुनाव में उनके समक्ष दावेदारी का विकल्प है। भाजपा इसी मुताबिक...
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